Holi 2025 Greetings: शुभ होली! इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Images, HD Wallpapers, Photo SMS के जरिए सबको दें पर्व की बधाई
होली 2025 (Photo Credits: File Image)

Holi 2025 Greetings in Hindi: हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में शुमार होली (Holi) को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस साल देशभर में 14 मार्च 2025 को रंगों वाली होली का त्योहार (Festival of Colors) मनाया जा रहा है. देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इस पर्व को पूरे जोश और उत्साह के साथ सेलिब्रेट कर रहे हैं. इस दिन हर कोई सिर से लेकर पैर तक रंगों में सराबोर नजर आता है और सारे-गिले शिकवे भुलाकर लोग अबीर-गुलाल लगाते हुए एक-दूसरे के साथ जमकर होली खेलते हैं. इस अनूठे पर्व को लोग अपनी-अपनी स्थानीय परंपराओ और मान्यताओं के साथ मनाते हैं. मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है, जो मुख्य होली से भी अधिक धूमधाम से मनाई जाती है. ब्रज की होली, बरसाना की लठमार होली तो दुनिया भर में प्रसिद्ध है. मथुरा और वृंदावन में होली का पर्व करीब 15 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है. हरियाणा में भाभी-देवर की होली, महाराष्ट्र में सूखे गुलाल की होली काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा गुजरात, छत्तीसगढ़ और देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोग स्थानीय परंपराओं के अनुसार हर्षोल्लास के साथ होली मनाते हैं.

होली सिर्फ रंगों का अनूठा पर्व ही नहीं है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है. इस दिन एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाने के साथ ही बॉलीवुड के होली सॉन्ग्स पर जमकर नाच-गाना होता है और शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. इस अवसर पर आप इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ इमेजेस, एचडी वॉलपेपर्स और फोटो एसएमएस के जरिए सबको शुभ होली कहकर पर्व की बधाई दे सकते हैं.

Happy Holi Images

1- रंगोत्सव की शुभकामनाएं

होली 2025 (Photo Credits: File Image)

2- होली की हार्दिक बधाई

होली 2025 (Photo Credits: File Image)

3- शुभ होली

होली 2025 (Photo Credits: File Image)

4- होली की शुभकामनाएं

होली 2025 (Photo Credits: File Image)

5- हैप्पी होली

होली 2025 (Photo Credits: File Image)

दो दिवसीय होली पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, जिसके कारण उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की जिम्मेदारी अपनी बहन होलिका को सौंप दी. होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान मिला था, इसलिए प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने परम भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की, जबकि अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त होने के बावजूद होलिका खुद को अग्नि में जलकर भस्म होने से न बचा सकी. कहा जाता है कि तब से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है और उसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है.