Dattatreya Jayanti 2023 Wishes in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय (Bhagwan Dattatreya) की जयंती मनाई जाती है, जिसे दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti) और दत्त जयंती (Datta Jayanti) के नाम से जाना जाता है. इस पर्व को महाराष्ट्र के अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल दत्त जयंती का पर्व 26 दिसंबर 2023 को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था, इसिलए इस पावन तिथि पर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. उन्हें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से त्रिदेवों का संयुक्त रूप से आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि व धन-धान्य की बढ़ोत्तरी होती है.
कहा जाता है दत्त भगवान को 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उनके नाम से ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ है, इसलिए दत्त संप्रदाय के लोगों के लिए दत्त जयंती का विशेष महत्व है. दत्त जयंती पर त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है. इस बेहद खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को दत्तात्रेय जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- इस दत्त जयंती पर सभी के महान गुरु,
त्रिमूर्ति के एक रूप भगवान दत्तात्रेय,
सभी को बुद्धिमत्ता, शांति और खुशी प्रदान करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
2- दौड़े आते हैं भक्तों के लिए,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
दिगंबरा, दिगंबरा,
श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
3- भगवान दत्तात्रेय में समाहित हैं,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
त्रिदेवों की यह त्रिमूर्ति,
आप सभी पर कृपा करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
4- दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
5- पल-पल सुनहरे फूल खिलें,
कभी ना हो कांटों का सामना,
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे,
भगवान दत्तात्रेय से यही है कामना.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और माता अनुसुइया के पुत्र हैं. कहा जाता है कि एक बार माता अनुसुइया ने कठोर तप करके ऐसे पुत्र की कामना की, जिसमें त्रिदेवों के अंश समाहित हो. उनके कठोर तप को देख त्रिदेवियों ने त्रिदेवों से माता अनुसुइया के सतीत्व की परीक्षा लेने का अग्रह किया, जिसके बाद त्रिदेव साधु के वेश में उनके पास पहुंचे. जब त्रिदेव साधु के वेश में माता अनुसुइया के पास आए तो उन्होंने कमंडल से जल लेकर उन पर छिड़क दिया, जिसके चलते तीनों बाल स्वरूप में आ गए.
त्रिदेवों के बाल स्वरूप में आने के बाद देवी अनुसुइया ने माता बनकर तीनों को स्तनपान कराया. जब अत्रि ऋषि आश्रम पहुंचे तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से सब देख लिया, फिर उन्होंने बाल स्वरूप त्रिदेवों को अपनी शक्ति से एक करते हुए उन्हें दत्तात्रेय नाम दिया. दत्त भगवान के तीन सिर और छह भुजाएं हैं. उनका वाहन श्वान है और गुरुवार इनका प्रिय दिन है.