Maharashtra Day 2020: मई माह की पहली तारीख कई मायने में महत्वपूर्ण मानी जाती है. गौरतलब है कि इस दिन संपूर्ण विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ (International Workers' Day) मनाया जाता है, और इसी दिन देश के दो बड़े राज्य महाराष्ट्र एवं गुजरात (Maharashtra and Gujrat) की स्थापना दिवस भी सेलीब्रेट किया जाता है. इसके अलावा पहली मई को विभिन्न शख्सियतों बलराज साहनी, मन्ना डे. मधु लिमये और नामवर सिंह का भी जन्म हुआ है. हम यहां महाराष्ट्र दिवस की बात करेंगे.
आजादी के पूर्व बॉम्बे प्रदेश के नाम से लोकप्रिय भूभाग को 1 मई 1960 में दो हिस्सों में विभाजित किया गया, एक को महाराष्ट्र और दूसरे को गुजरात नाम दिया गया. आखिर क्या वजह थी इस विभाजन की? और किस आधार पर इसका विभाजन हुआ आइये जानते हैं.
ऐसे उठी महाराष्ट्र एवं गुजरात की मांग?
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जब राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम 1956 लागू हुआ तो इस अधिनियम के अनुरूप कन्नड़भाषियों के लिए कर्नाटक, मलयालमभाषियों के लिए केरल और तमिलभाषियों के लिए तमिलनाडु राज्य की स्थापना की गई. इस विभाजन को देखते हुए मराठी और गुजरातीभाषियों ने भी अपने लिए अलग-अलग राज्य की मांग की, इसके लिए जगह-जगह धरना प्रदर्शन हुए.
‘बाम्बे राज्य’ से उदय हुआ महाराष्ट्र एवं गुजरात
दोनों राज्यों (महाराष्ट्र एवं गुजरात) को लेकर आंदोलन धीरे-धीरे तीव्र एवं आक्रामक होता गया. वर्ष 1960 में मराठीभाषियों ने ‘महाराष्ट्र राज्य’ की मांग रखी तो गुजरातीभाषियों ने केंद्र सरकार के समक्ष ‘महागुजरात’ नाम से अलहदा राज्य की मांग रखी. अंततः 21 अप्रैल 1960 को लोकसभा में मंजूरी दी गई. इसी मंजूरी के तहद 1 मई 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने बांबे राज्य को विभाजित करके महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की स्थापना की. इस घोषणा के साथ ही महाराष्ट्र और गुजरात में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी.
विवाद था ‘शहर-ए-बंबई (मुंबई)’
महाराष्ट्र और गुजरात के बंटवारे में बम्बई को लेकर दोनों पक्षों में तलवारें खिंच गई. मराठीभाषियों के अनुसार चूंकि बम्बई में मराठीभाषी ज्यादा हैं, इसलिए बम्बई महाराष्ट्र को मिलना चाहिए. उधर गुजरात के बड़े कारोबारी चाहते थे कि बम्बई के विकास में उऩका योगदान ज्यादा है, इसलिए बम्बई गुजरात को मिले या फिर उसे दिल्ली की तरह केंद्र शासित राज्य घोषित किया जाये. उन दिनों बाम्बे राज्य के मुख्यमंत्री मोरार जी देसाई थे., लिहाजा गुजराती भाषियों को उनका भी समर्थन हासिल था.
21 नवंबर 1955 और 16 जनवरी 1956 के बीच सेनापति बापट, शाहीर अमर शेख, पीके अत्रे, एसए डांगे, के जेढ़े, एसएम जोशी ने आंदोलन की अगुवाई की. झड़प बढ़ने पर मोरारजी देसाई ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के आदेश दिए. इसमें कई प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो गयी. अंततः पंडित नेहरू ने बॉम्बे को महाराष्ट्र का हिस्सा घोषित करते हुए बेलगाम, करवार, डंग, दमन और दीव को महाराष्ट्र से बाहर रखा.
कैसे करते हैं सेलीब्रेट
1 मई को महाराष्ट्र के साथ गुजरात स्थापना दिवस भी खूब धूमधाम से सेलीब्रेट किया जाता है. महाराष्ट्र स्थापना दिवस के अवसर पर दादर स्थित शिवाजी पार्क में परेड निकाला जाता है और तमाम रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. शहीद चौक पर उऩ लोगों को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, जिन्होंने महाराष्ट्र के आंदोलनों में अपनी जान गंवाई थी. उधर गुजरात में भी इस अवसर पर राज्य सरकार विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है. स्कूल-कॉलेजों में तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.