
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर हिंसा की आग भड़क उठी है. सोमवार को दक्षिण 24 परगना जिले में भारतीय सेक्युलर फ्रंट (ISF) समर्थकों और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हो गई. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान यह टकराव हुआ, जिसने पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.
ISF के कार्यकर्ता कोलकाता के रामलीला मैदान में होने वाली रैली की ओर जा रहे थे, जहां भांगर से विधायक नौशाद सिद्दीकी को संबोधित करना था. लेकिन जब पुलिस ने उन्हें बसंती हाईवे के भोजेरहाट इलाके में रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़ने लगे और देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए.
गाड़ियों में लगाई आग, पुलिस पर हमला
हिंसा इस कदर बढ़ी कि कई पुलिस वाहन जला दिए गए. प्रदर्शनकारियों ने लाठी-डंडों से पुलिस पर हमला किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. झड़प के दौरान ISF का एक समर्थक गंभीर रूप से घायल हो गया.
मालदा में राहत शिविर
इस हिंसा से डरे हुए सैकड़ों लोग अपने घर छोड़कर मालदा जिले के राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मालदा के कालियाचक ब्लॉक 3 स्थित पारलालपुर हाई स्कूल के राहत शिविर का दौरा किया, जहां 640 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं. उन्होंने बताया कि कई महिलाएं रो-रोकर अपनी आपबीती सुना रही थीं कैसे उनके घर जलाए गए, संपत्ति नष्ट कर दी गई और जान से मारने की धमकियां मिलीं.
ममता सरकार पर लगा पक्षपात का आरोप
सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार न सिर्फ हिंसा को रोकने में असफल रही है, बल्कि अब पीड़ितों को राहत शिविर खाली करने का दबाव डाल रही है. उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी ने बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बना दिया है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार केंद्र की सुरक्षा बलों को पूरी तरह सक्रिय नहीं होने दे रही है.
AFSPA लागू करने की मांग और हाई कोर्ट का आदेश
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि राज्य के संवेदनशील जिलों में AFSPA लागू किया जाए. वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने मुर्शिदाबाद में तुरंत केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है.