Ukraine and Russia War Impact on India: आखिरकार आज (24 फरवरी) रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच विनाशकारी युद्ध शुरू हो ही गया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन में मिलिट्री ऑपरेशन की घोषणा के सतह ही रूसी सेना ने यूक्रेन के कई शहरों पर धावा बोल दिया. यहां तक की रिहायशी इलाकों में भीषण धमाकों की आवाजें सुनाई दीं. अब तक सेना के जवानों सहित सैकड़ों लोगों के मारे जाने की संभावना है. जनहानि के सस्थ ही संपत्तियों के भी बड़े पैमाने पर नष्ट होने की खबरें लगातार आ रही है. इस बीच भारत ने स्पष्ट कहा है कि उसका रुख इस मसले पर तटस्थ है और इसका शांतिपूर्ण समाधान होना चाहिए. Russia-Ukraine War: यूक्रेन के खिलाफ रूस ने छेड़ा युद्ध, पुतिन ने मिलिट्री ऑपरेशन का किया ऐलान, अमेरिका बोला- NATO के साथ मिलकर देंगे कड़ा जवाब
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है. अनिश्चितता के माहौल से भारत के साथ ही कई देशों के स्टॉक मार्केट में सुबह से गिरावट का रुख है, जबकि तेल और गैस की कीमतें बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूक्रेन और रूस के झगड़े से भारत में महंगाई बढ़ सकती है.
कच्चा पेट्रोलियम
इस युद्ध का एक मुख्य प्रभाव कच्चे तेल की कीमतों में नजर आने लगा है. गुरुवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) की क़ीमत 103 डॉलर प्रति बैरल हो गई है. बीते कुछ सप्ताह से कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी. पेट्रोलियम की कीमतों के लिए दोनों बेंचमार्क सोमवार (14 फरवरी) को सितंबर 2014 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे, जिसमें ब्रेंट 96.78 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई 95.82 डॉलर प्रति बैरल हुआ था.
हालांकि इसके बाद इसमें सुधर भी हुआ. रूस का वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में लगभग 13 प्रतिशत का हिस्सा है, जो ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन) के कुल उत्पादन का लगभग आधा है. अब सैन्य संघर्ष बढ़ने से कच्चे तेल की सप्लाई भी प्रभावित होगी. जिससे दाम में इजाफा होगा. ऐसा अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल की भी बढ़ोतरी होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर हजारों करोड़ों का बोझ बढ़ जाता है.
प्राकृतिक गैस (Natural Gas) की कीमतों में भी युद्ध का असर दिखेगा. तेल की तरह ही इस में भी तेज वृद्धि देखने को मिल सकी है. क्योंकि प्राकृतिक गैस की वैश्विक आपूर्ति का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रूस के पास है.
भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है, जिसमें से ज़्यादातर आयात सऊदी अरब और अमेरिका से होता है. इसके अलावा भारत, इराक, ईरान, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल खरीदता है. प्राकृतिक गैस के लिए भी भारत कुछ हद तक रूस पर निर्भर है. ऐसे में तेल और प्राकृतिक गैस की सप्लाई प्रभावित होने से देश में रोजमर्रा की चीजे महंगी हो जाएगी, नतीजतन महंगाई बढ़ेगी.
व्यापार पर प्रभाव
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रूस-यूक्रेन तनाव का असर फ़िलहाल भारतीय व्यापार पर नहीं पड़ा है. लेकिन इस वैश्विक तनाव की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत वह सारे कदम उठा रहा है जिससे रूस-यूक्रेन संघर्ष का असर व्यापार पर नहीं पड़े.
अमेरिका, ब्रिटेन,जापान, कनाडा समेत कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये है, अब युद्ध शुरू होने पर यह रूस के साथ व्यापार करने वाले देश पर भी लागू किया जा सकता है. 2021 के अंत में जब पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई थी, तब भारत और रूस ने अपने रिश्ते को और मजबूत करने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया था. लेकिन अब यूक्रेन के बचाव में रूस के सामने अमेरिका समेत कई देशों के आने से इसका खामियाजा भारत को भी चुकाना पड़ सकता है. क्योकि दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में इस संघर्ष से बाधा उत्पन्न होगी.
पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में रूसी आयात भारत के कुल आयात का 1.4 प्रतिशत था. दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 3.75 लाख करोड़ रुपये और द्विपक्षीय व्यापार को 2.25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. हालांकि यूक्रेन के सतह भी भारत के अच्छे व्यापारिक रिश्ते है. देश के हजारों छात्र यूक्रेन पढ़ने के लिए जाते है.