नई दिल्ली:- नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला भले ही थमने लगा हो लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Suprim Court) की दहलीज तक जा पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे. SC के सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia University) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई घटना का चीफ जस्टिस एस.ए बोबडे (CJI SA Bobde) के सामने उल्लेख किया. सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह (Senior advocate Indira Jaising) की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए हामी भर दी है. सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालत में कहा यह पूरे देश में हो रहे गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने कहा कि हम किसी को दोषी नहीं कह रहे हैं हम सिर्फ चाहते हैं कि हिंसा रुकना चाहिए. हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना बंद हो. चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने कहा कहा आप स्टूडेंट है तो आपको हिंसा का अधिकार नहीं मिल जाता है. अगर हिंसा नहीं थमता है तो ऐसे माहौल मैं मामले को कैसे सुना जा सकता है. यह भी पढ़ें:- जामिया हिंसा: राहुल गांधी ने पीएम मोदी-अमित शाह पर साधा निशाना, कहा- ध्रुवीकरण के हथियार हैं CAB और NRC.
CJI SA Bobde says 'Just because they happen to be students, it doesn't mean they can take law and order in their hands, this has to be decided when things cool down. This is not the frame of mind when we can decide anything. Let the rioting stop.'
— ANI (@ANI) December 16, 2019
बता दें कि राजधानी दिल्ली के आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर रविवार को छात्रों और राजनेताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने 'दिल्ली पुलिस जामिया छोड़ो' के नारे लगा रहे थे. कई राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ता पुलिस मुख्यालय के बाहर जुटे हुए थे. इससे पहले ही दक्षिण दिल्ली में नाराज भीड़ ने पेट्रोल बम से पुलिस कर्मियों, आम नागरिकों व मीडिया को निशाना बनाया. नाराज भीड़ ने दक्षिणी दिल्ली को कब्जे में ले लिया था. प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने व पुलिस के साथ झड़प के पांच घंटे बाद पुलिस ने जामिया नगर में फ्लैग मार्च किया था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसूगैस के गोले भी दागे.