कोलकाता, 16 अगस्त: जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में 10 अगस्त को प्रथम वर्ष के छात्र की कथित रैगिंग से हुई मौत के संबंध में दूसरी जनहित याचिका बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर की गई नई जनहित याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य कल्याण बंदोपाध्याय ने दायर की अपनी याचिका में, बंदोपाध्याय ने जेयू अधिकारियों पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया. यह भी पढ़े: Jadavpur University Student's Death: जेयू मामले की यूजीसी का एंटी रैगिंग सेल करेगा जांच
दरअसल, विश्वविद्यालय परिसर के भीतर सीसीटीवी लगाने की न्यूनतम जरूरत पूरी नहीं की गई बंदोपाध्याय ने राज्यपाल सीवी. आनंद बोस, जो जेयू के चांसलर भी हैं, को भी जनहित याचिका में एक पक्ष बनाया है याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल के रवैये के कारण जेयू काफी समय से बिना किसी स्थायी कुलपति के संचालित हो रहा है.
जनहित याचिका में, बंदोपाध्याय ने यह भी दावा किया कि विश्वविद्यालय परिसर बाहरी लोगों के प्रवेश पर किसी भी प्रतिबंध के बिना नशीले पदार्थों के सेवन का केंद्र है पहली जनहित याचिका सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील सायन बनर्जी ने मुख्य न्यायाधीश टीएस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में दायर की थी.
अपनी जनहित याचिका में, बनर्जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा लागू एंटी-रैगिंग नियमों को जेयू सहित पश्चिम बंगाल के सभी राज्य-विश्वविद्यालयों में सख्ती से लागू किया जाए.
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक आरके. राघवन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक एंटी-रैगिंग समिति का गठन किया गया था जिसमें विश्वविद्यालय परिसरों के भीतर जूनियर और नए छात्रों के साथ रैगिंग और उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए कई उपाय सुझाए गए थे यूजीसी ने इस संबंध में पालन किए जाने वाले दिशानिर्देशों का एक सेट भी जारी किया था.