Republic Day 2020: 26 जनवरी को ही क्यों मानते हैं गणतंत्र दिवस और जानें स्वतंत्रता एवं गणतंत्र दिवस का फर्क
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा (Photo Credits: Unsplash)

Republic Day 2020: अकसर लोग यह सवाल करते हैं कि ‘जब हम प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं तो अलग से गणतंत्र दिवस मनाने का क्या औचित्य बनता है?’. आखिर ‘क्या फर्क है गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में?’ अब चूंकि इस दिवस विशेष का संबंध भारतीय संविधान की मूल संवेदनाओं से जुड़ा है, ऐसे में हर भारतीय नागरिकों के लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि हमारा संविधान क्या है? इसकी मान्यताएं क्या हैं? एक भारतीय के लिये इसकी क्या और कितनी अहमियत होती है? इस बात की जानकारी होने के बाद ही हम गणतंत्र दिवस की खूबसूरती को समझते हुए उसी के अनुरूप सेलीब्रेट कर सकते हैं.

सर्वप्रथम हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि गणतंत्र होता क्या है. दरअसल जब किसी देश की सत्ता वहां की जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों के पास होती है, जहां नियमित चुनाव सम्पन्न होते हैं और उस चुनाव में सौ प्रतिशत भागीदारी जनता के निमित्त होती है, उसे जनतंत्र यानी गणतंत्र कहते हैं. गणराज्यों में ऐसे राष्ट्रपति होते हैं, जिनका राजा या रानी के विपरीत, मनोनयन होता है. एक गणतांत्रिक देश में ऐसी सरकार होती है, जिसमें सर्वोच्च सत्ता निहित होती है और यह सरकार नागरिकों के सर्वाधिक वोटों के आधार पर तय होती है. गणतंत्र का आधार परिवर्तनशील होता है. कहने का आशय यह कि एक तय समय सीमा के भीतर सत्ता में परिवर्तन हो, और यह परिवर्तन जनता के मतों के अनुरूप हो. जिसके लिए समय से चुनाव कराये जाएं. लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन होना ही चाहिए. अगर जनता पिछली सरकार के कामकाज से संतुष्ट होकर दुबारा उसी को चुनती है तो उसके चुनाव को बहुमत के आधार पर सम्मान देना चाहिए.

गणतंत्र दिवस का महत्व?

हमारे देश में प्रत्येक वर्ष की 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस सेलीब्रेट किया जाता है. अंग्रेजी कानून से मुक्ति पाने के बाद इसी दिन से हमारा अपना कानून पूरे देश में लागू हुआ था. इसके साथ भारत सरकार अधिनियम (1935) को देश के शासन दस्तावेज के रूप में मानित किया गया था. इस संविधान के गठन के समय भारत की विविधता, जातीय, समुदायों, धर्मों और भाषाओं की विविधता का विशेष ध्यान रखा गया.

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन ही क्यों?

प्रथम स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) के 13 दिनों के बाद एक ड्राफ्टिंग कमेटी नियुक्त कर उसे भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी. इस कार्य के लिए डॉ. बी.आर. अंबेडकर को अध्यक्ष नियुक्त किया गया. यह संविधान 2 साल 11 माह और 18 दिन में पूरा हुआ. 26 जनवरी 1950 को संविधान के कुछ प्रावधान लागू किये गये. इसके लिए 26 जनवरी का दिन इसीलिए मुकर्रर किया गया, क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग ब्रिटिश हुकूमत के सामने रखी थी और 1930 से 1947 तक प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाया जाता रहा. इसलिए जब गणतंत्र दिवस के लिए तारीख के चुनाव की बात उठी तो सर्वसम्मति से 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस के लिए बेहतर माना.

कैसे करते हैं सेलीब्रेट

26 जनवरी यह राष्ट्रीय उत्सव दिव्य एवं भव्य रंगारंग छटाओं के साथ सेलीब्रेट किया जाता है. राजधानी दिल्ली समेत मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शहर को दुल्हन के समान सजाया जाता है. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है.

दिल्ली की सड़कों पर झांकियों के माध्मम से एक तरफ प्रादेशिक संस्कृति और परंपराओं की रंगारंग झलक देखने को मिलती है तो दूसरी तरफ भारत के सशस्त्र बलों के तीनों विंग अपनी शक्ति और शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. इसके लिए महीने भर पहले से इसकी तैयारियां चलती हैं.