Hong Kong Transgender Toilet Rule: क्या हांगकांग में टॉयलेट जानें के लिए ID Card दिखाना पड़ता है? जानें वहां का अनोखा नियम और कोर्ट का फैसला

Hong Kong Transgender Toilet Rule: हांगकांग की हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ऐसे कानून को रद्द कर दिया है, जो लोगों को उनके सरकारी पहचान पत्र के आधार पर पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करने को बाध्य करता था. कोर्ट के इस फैसले को ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में एक बड़ी जीत माना जा रहा है. यह मामला एक ट्रांस मैन "K" द्वारा दायर किया गया था, जो पिछले करीब छह साल से इस कानूनी लड़ाई में लगे हुए थे. उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करने को लेकर शर्मिंदगी और असहजता का सामना करना पड़ता था.

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ट्रांस मैन को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा

K का कहना है कि डॉक्टरों ने उन्हें पुरुषों का टॉयलेट इस्तेमाल करने की सलाह दी थी, लेकिन उनके पहचान पत्र में अभी भी "महिला" लिखा हुआ था. इस वजह से उन्हें पुरुष टॉयलेट में जाने पर 2,000 हांगकांग डॉलर (लगभग ₹21,000) तक जुर्माना भरने का खतरा था.

हालांकि उन्हें कभी सजा नहीं दी गई, लेकिन महिला टॉयलेट में जाने पर उन्हें कई बार गलतफहमियों और घूरने की नजरों का सामना करना पड़ा.

अपमानित होने व पहचान नकारे जाने का डर

हाई कोर्ट के जज रसेल कोलमैन ने अपने फैसले में कहा कि ये कानून ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के गोपनीयता, समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि "बहुत सारे ट्रांस लोग डर, अपमान और पहचान नकारे जाने के डर से पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल ही नहीं करते."

कोर्ट ने सरकार को एक साल का समय दिया है ताकि वो इस नियम को लेकर अगली कार्रवाई पर विचार कर सके. हांगकांग सरकार ने कहा है कि वह इस फैसले का अध्ययन करेगी और उचित कदम उठाएगी.

हांगकांग में 'जेंडर रिकग्निशन लॉ' की कमी

K ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे LGBTQ समुदाय के लिए एक "आगे की दिशा में बड़ा कदम" बताया. उन्होंने ये भी कहा कि हांगकांग में अभी भी "जेंडर रिकग्निशन लॉ" की कमी है, जिसे जल्द लाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकार से जेंडर-न्यूट्रल टॉयलेट्स बनाने की अपील भी की, ताकि सभी के लिए जगहें सुरक्षित और समावेशी बन सकें.

K के वकील मार्क डेली ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पुराने भेदभावपूर्ण कानूनों की समीक्षा करे और पब्लिक स्पेस को सभी के लिए सुरक्षित बनाए. ट्रांसजेंडर युवाओं के लिए काम करने वाले संगठन "क्वार्क्स" ने इस फैसले को "ह्यूमन राइट्स की दिशा में एक अहम कदम" बताया है.