Kargil Vijay Diwas 2025: जब भारतीय जांबाजों ने ‘ऑपरेशन विजय’ और ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के चौतरफे हमले से पाकिस्तान को हमेशा के लिए कमर तोड़ दिया!

  पाकिस्तान ने भारत पर चार बार (1947-48, 1965, 1971 और 1999 में) हमले किये, और चारों बार मुंह की खाई. इन्हीं में एक था मई 1999 का कारगिल युद्ध, जब 5 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक कारगिल की सबसे ऊंची पहाड़ियों पर घुसे और महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा कर लिया. शुरू में पाकिस्तान सरकार ने इस हमले से इंकार करती रही, मगर युद्ध के दौरानभारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के दस्तावेज़ और संचार उपकरण इत्यादि बरामद किएजिससे पाकिस्तान की इस युद्ध में संलिप्तता साबित हुई. बहरहाल यह युद्ध तीन माह (3 मई से 26 जुलाई 1999) तक चली. 26 जुलाई को भारतीय सैनिकों ने बड़ी बहादुरी से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर अपनी चौकियों पर कब्जा किया. आज कारगिल विजय दिवस के 26वें वर्ष के अवसर पर बात करेंगे कारगिल युद्ध के यादगार लम्हों के बारे में

क्या थी पाकिस्तान की योजना?

   पाकिस्तान इस युद्ध के जरिये भारत को सियाचिन से अलग-थलग करना चाहता था, इसी इरादे से उसके सैनिक चोरी-छिपे भारतीय सीमा में घुसकर कारगिल स्थित तोलोलिंगपॉइंट 5140, प्वॉइंट 4875 और टाइगर हिल जैसे महत्वपूर्ण चौकियों पर कब्जा कर लिया. उसकी योजना थी कि कारगिल के जरिये वे कश्मीर घाटी में स्थिति को अपने अनुकूल बनाकर भारत को कश्मीर पर बातचीत के लिए दबाव बना सकेंगे. यह भी पढ़ें : Shrawan Vinayak Chaturthi 2025: संकट एवं विघ्न दूर करने हेतु इन शुभ योगों में करें गणेशजी की पूजा! जानें पूजा की मूल तिथि, शुभ योग एवं पूजा विधि!

ऑपरेशन विजय

ऑपरेशन विजय’ अभियान 26 मई 1999 को शुरू हुआ और मुख्य रूप से भारतीय थल सेना द्वारा संचालित था. लक्ष्य था कारगिल सेक्टर में घुसपैठ कर चुकी पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों को बाहर खदेड़ना, हालांकि 16 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर पेट्रोलिंग करनावहां रसद आपूर्ति करनाऔर बर्फीले इलाके में लड़ना बहुत दुष्कर कार्य था, लेकिन भारतीय जांबाजों ने जान की परवाह नहीं करते हुए अपने लक्ष्य में कामयाब हुए.

ऑपरेशन सफेद सागर:

कारगिल युद्ध भारतीय सैनिकों के लिए इसलिए बहुत दुष्कर था, क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक शीर्ष पर थे, और भारतीय थलसेना काफी नीचे से थी, ऐसे में जरूरी था कि पाकिस्तानी सेना पर ऊपर से भी दो तरफा हमला हो. अंततः भारतीय वायुसेना ने भी 26 मई को ऑपरेशन सफेद सागर से घुसपैठिय़ों पर दोतरफा हमला झोंक दिया. इसमें मिग-21, मिग-27, मिराज-2000 जैसे विमानों का प्रयोग किया गया. भारतीय वायुसेना ने लगभग 300 से अधिक लड़ाकू मिशन उड़ाए. मिराज 2000 विमानों ने लेजर गाइडेड बमों से दुश्मन के बंकरों को नेस्तनाबूत कर दिया.

कैप्टन विक्रम बत्रा की हुंकार ये दिल मांगे मोर

  पाकिस्तान द्वारा झोंके इस युद्ध में कई शूरवीर भारतीय सेना शहीद हुए थे, इसी में एक थे जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन के कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें भारतीय फौज में शेरशाह के नाम से पुकारा जाता था. ऑपरेशन विजय के दौरान उन्होंने प्वाइंट 5140 और प्वाइंट 4875 जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों से दुश्मनों को खदेड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया. सेना पर हमला करते हुए वह ये दिल मांगे मोर की हुंकार भरते थे, जिससे साथी सेना में जोश भर जाता था. उनके शौर्य को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

टर्निंग प्वाइंट थी टाइगर हिल की जीत

  टाइगर हिल को जीतना कारगिल युद्ध का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था. 16 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित, जहां पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा कर रखा था, उन्हें चकमा देते हुए भारतीय सेना ने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की थी. इस घटना की विदेशी सेना ने भी पुरजोर तारीफ करते हुए भारतीय सेना को महान बताया था.

  अंततः दो महीने 23 दिन के बाद, 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ कारगिल युद्ध समाप्त हुआ.