Shrawan Vinayak Chaturthi 2025: संकट एवं विघ्न दूर करने हेतु इन शुभ योगों में करें गणेशजी की पूजा! जानें पूजा की मूल तिथि, शुभ योग एवं पूजा विधि!

   हिंदू धर्म शास्त्रों में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को मानी जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो चतुर्थी पड़ती है, एक शुक्ल पक्ष में, जिसे विनायक चतुर्थी और दूसरी कृष्ण पक्ष में, जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, दोनों चतुर्थियों पर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. गणेश जी को सभी संकटों और बाधाओं को हरने वाला देव माना जाता है. मान्यतानुसार हर चतुर्थी को विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है, नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. इस श्रावण मास में 28 जुलाई 2025 को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. आइये जानते हैं श्रावण मास की विनायक चतुर्थी का महत्व, पूजा मुहूर्त एवं पूजा-अनुष्ठान के नियम इत्यादि के बारे में...

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व

श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में तमाम लाभ  प्राप्त होते हैं, इससे बल-बुद्धि की प्राप्ति और सुख-सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है. साथ ही भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के सारे काम सिद्ध होते हैं. यह भी पढ़ें : Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या के शुभ दिन पर करने योग्य और वर्जित कार्यों की सूची

श्रावण विनायक चतुर्थी 2025 पूजा की मूल तिथि एवं मुहूर्त

श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 10.41 PM (27 जुलाई 2025, रविवार)

श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 11.24 PM (28 जुलाई 2025, सोमवार)

उदया तिथि के अनुसार 28 जुलाई 2025 को श्रावण विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी.

विनायक चतुर्थी पर बन रहे शुभ योग

श्रावण विनायक चतुर्थी के दिन परिघ, हर्षण और रवि योग का संयोग बन रहा है. इन योगों में गणेश जी की पूजा करने से जातक की सारी कामनाएं पूरी होती हैं.

विनायक चतुर्थी पूजा विधि:

  हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी की पूजा संध्या से पूर्व करनी चाहिए. श्रावण चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर भगवान गणेश का ध्यान करें, व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. गणेश जी की नियमित पूजा करें. संध्या काल से पूर्व मंदिर के समक्ष एक चौकी पर लाल आसन बिछाएं. इस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें गंगाजल से प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें, और निम्न मंत्र का उच्चारण करें.

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्

शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्

  भगवान गणेश को लाल फूलों की माला अर्पित करने के बाद धूप-दीपनैवेद्यअक्षत और दूर्वा की 25 गांठें अर्पित करें. पान, सुपारी, इसके बाद मोदक एवं फल का भोग लगाएं. श्रावण विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें. अंत में गणेश जी की आरती उतारें.