गुरुवार को हरियाली अमावस्या है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या आती है. इसे सावन अमावस्या या दर्श अमावस्या भी कहते हैं. यह दिन पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है और पितरों का तर्पण, श्राद्ध जैसे अनुष्ठान भी बड़े श्रद्धा भाव से किये जाते हैं.
हरियाली अमावस्या पर क्या करें
स्नान और शुद्धिकरण करें: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह लगभग 4:15 से 4:57 बजे तक) में पवित्र जल द्वारा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. अगर नदी तक जाना संभव न हो तो घर पर गंगा जल से स्नान करें.
पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें: इस दिन पितरों को तर्पण देना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
दान करें: हरियाली अमावस्या पर अन्न, जल, वस्त्र आदि का दान करने से विशेष फल मिलता है। खासकर भूखे, जरूरतमंदों को दान करें.
पौधारोपण करें: इस दिन पीपल, बेलपत्र, बरगद आदि पवित्र पेड़ लगाना अत्यंत शुभ होता है क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण को समर्पित है.
भगवान शिव और शनिदेव की पूजा: इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना, दीप प्रज्वलित करना, और शनिदेव की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है.
शुभ कर्म करें: इस दिन घर और मंदिर की साफ-सफाई करें, घर में दीप जलाएं और भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
हरियाली अमावस्या पर क्या न करें
काले वस्त्र धारण न करें: अमावस्या के दिन काले रंग के कपड़े पहनना या घर में काले रंग की वस्तुएं लाना अशुभ माना जाता है.
तामसिक भोजन से बचें: इस दिन मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
नाखून, बाल कटवाना न करें: अमावस्या के दिन बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं.
विवाद या गुस्से से बचें: अमावस्या को शांतिपूर्ण और संयमित रहना शुभ होता है, इसलिए किसी प्रकार के विवाद, झगड़े से बचना चाहिए.
शुभ कार्यों से विराम: अमावस्या के दिन मांगलिक कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश आदि आयोजन नहीं करने चाहिए.
हरियाली अमावस्या न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती है. इस दिन किए गए अच्छे कर्म, दान, और पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है. साथ ही, अमावस्या के दिन किए गए गलत कर्म या अनियमितताएं अशुभ प्रभाव ला सकती हैं, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए.
इस प्रकार, हरियाली अमावस्या के दिन सहजता, श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए पूजा-पाठ, दान और प्रकृति संरक्षण के कार्य करें और अनावश्यक गलतियों से बचें.
(यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है, लेखक इस विषय के एक्सपर्ट नहीं हैं)













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