Hariyali Amavasya 2019: भगवान शिव (Lord Shiva) के सर्वाधिक प्रिय एवं पवित्र मास श्रावण (Sawan Maas) के आगमन के साथ ही एक ओर जहां कांवड़ियों के जत्थों से संपूर्ण भारत केशरिया रंग में रंगा नजर आता है, वहीं वर्षा ऋतु के कारण प्रकृति भी हरी-भरी चादर में लिपटी नजर आती है. ऐसे ही समय में हम हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का पर्व मनाते हैं. इस वर्ष इस हरियाली अमावस्या का महात्म्य इसलिए विशेष माना जा रहा है क्योंकि यह पर्व अपने साथ एक नहीं पंच महायोग का संयोग लेकर आ रहा है. ज्योतिषियों का मानना है कि इस दौरान वृक्षारोपण (Plantation) करना बहुत शुभ होता है.
125 साल बाद बन रहा है पंचयोग
इस वर्ष 2019 को श्रावण मास की हरियाली अमावस्या 31 जुलाई सुबह 11 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ हो जायेगी और 1 अगस्त को सुबह 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. पंच महायोग का यह संयोग लगभग सवा सौ साल बाद बन रहा है. इस पंचयोग (सिद्धि योग, शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग) पर यूं तो हर देवी-देवता पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर भक्तों की मनचाही मुराद पूरी करते हैं, लेकिन इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. मान्यता है कि इस विशेष योग में पूजा करने वाले के सारे कष्ट स्वतः दूर हो जाते हैं.
हरियाली अमावस्या पर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना
हरियाली अमावस्या की प्रातःकाल स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. दोपहर 12 बजे से पूर्व किसी भी पीपल के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करने के पश्चात किसी भी शिव मंदिर स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ाएं एवं पुष्प चढ़ाएं. शिव मंदिर स्थित शिवलिंग पर शुद्ध जल में काला तिल मिलाकर चढ़ाएं और शिव जी को चंदन का लेप लगायें, शिवलिंग पर 1001 बेल पत्र चढ़ाते हुए ऊं नमः शिवायः का जाप करें. ऐसा करने से राहु, केतु अथवा अन्य ग्रहों से मिलने वाले सारे कष्ट दूर होंगे. वर्षों से चल रहे शारीरिक एवं आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलेगी. सर्पदोष और शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए शिवलिंग पर शुद्ध जल एवं पुष्प अर्पित करें.
तर्पण, पिण्डदान एवं श्राद्धकर्म
हरियाली अमावस्या का एक पक्ष पित्तरों के श्राद्ध से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान एवं दान आदि करने से पित्तर प्रसन्न और तृप्त होते हैं. इसी दिन बहुत से लोग अपने पित्तरों को प्रसन्न कर खुद को पितृ-दोष मुक्त करने की कोशिश भी करते हैं. यही वजह है कि इस दिन पवित्र नदियों के किनारे भारी संख्या में पुरोहित पित्तरों का तर्पण, पिंडदान और श्रद्धाकर्म करते नजर आते हैं. कहते हैं कि इस दिन स्नान के पश्चात नदी में दीप-दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. यह भी पढ़ें: August 2019 Calendar: अगस्त महीने में पड़ रहे हैं कई बड़े व्रत और त्योहार, देखें छुट्टियों की पूरी लिस्ट
आज के दिन एक वृक्ष अवश्य लगाएं
इस पर्व विशेष पर मनुष्य को एक वृक्ष जरूर लगाना चाहिए. दरअसल हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि अलग-अलग वृक्ष में किसी न किसी देवी-देवता का वास होता है, इसलिए इस दिन अमुक वृक्ष के पौधे लगाने का आशय यही है कि हम वृक्षारोपण के बहाने देवी-देवताओं का आह्वान करते हैं. वैसे भी यह मौसम वृक्षारोपण के अनुकूल होता है. हमारे ऋषियों ने इसी बात का ध्यान रखते हुए श्रावण की अमावस्या का पर्व प्रकृति को संपन्न करने के लिए चुना है.
पित्तरों की याद में एक वृक्ष लगाने की परंपरा वैसे भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. आज जब पूरे विश्व में मौसम का मिजाज बदल रहा है, हमें इस अमावस्या पर वृक्षारोपण को गंभीरता से लेना चाहिए. तभी श्राद्ध के पुण्य का फल सही अर्थों में प्राप्त होता है. भविष्यपुराण में उल्लेखित भी है कि जिस इंसान के कोई संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान सदृश है. जो लोग इस अवसर पर वृक्ष लगाते हैं, उनके लौकिक-पारलौकिक कर्म वृक्ष ही करते हैं. इसी बहाने हम पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं.
किस वृक्ष से मिलता है कौन सा फल?
दिन-रात ऑक्सीजन देनेवाले एकमात्र पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है. देवों के देव गणेश जी और शिवजी को शमी का पेड़ पसंद है. विष्णु जी एवं लक्ष्मी जी आंवले का वृक्ष पसंद करते हैं. शिव जी का सर्वोप्रिय पेड़ बेल का है. अशोक का वृक्ष शोक नहीं देता. जामुन धन संकट दूर करता है. बेल लंबी आयु देता है तो तेंदू एवं अनार विवाह कराता है. बकुल पापनाशक है. वटवृक्ष मोक्ष दिलाता है, आम अभीष्ट कामना पूरी करता है. सुपारी सिद्धि प्रदान करता है. पारिजात, मोगरा और रातरानी आनंद प्रदान करता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.