Deep Amavasya 2024 Date and Time: दीप अमावस्या पर किस समय पितरों के लिए जलाएं दीप, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
दीप अमावस्या 2024 (Photo Credits: File Image)

Deep Amavasya 2024 Date and Time: आज (4 अगस्त 2024) सावन मास की अमावस्या (Sawan Amavasya) है, जिसे हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya), श्रावण अमावस्या (Shravan Amavasya) और दीप अमावस्या (Deep Amavasya) जैसे नामों से भी जाना जाता है. पौधों को लगाने के लिए इस दिन को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि सावन के महीने में बारिश अच्छी होती है और धरती पर हर तरफ हरियाली देखने को मिलती है. चतुर्मास के बाद पड़ने वाली इस अमावस्या का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त दीप दान करने का अधिक महत्व होता है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में इसे गटारी अमावस्या (Gatari Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. दीप अमावस्या के दिन घर में दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं और द्वार पर रंगोली बनाकर इस दिन पूजन किया जाता है. इस पूजा में आटे का दीपक जलाया जाता है. आइए जानते हैं पितरों के लिए दीप जलाने का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व...

दीप अमावस्या तिथि

हरियाली अमावस्या- 04 अगस्त 2024

दीप अमावस्या प्रारंभ- 3 अगस्त 2024 को 03.50 पीएम से,

दीप अमावस्या समाप्त- 4 अगस्त 2024 को 04.42 पीएम तक.

किस समय लगाएं पौधे?

हरियाली अमावस्या यानी दीप अमावस्या पर रवि पुष्य योग बन रहा है, जो सुबह 5.44 बजे से लेकर दोपहर 1.26 बजे तक रहेगा. रविवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र होता है तो उस समय रवि पुष्य योग बनता है, जिसे उच्च उपज, पोषण, देखभाल, ऐश्वर्य, सौभाग्य इत्यादि के लिए जाना जाता है. इस य़ोग के दौरान अगर आप पौधे लगाते हैं तो यह आपके लिए सुख और समृद्धि का कारक हो सकता है. इस दिन आप ग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए भी पौधे लगा सकते हैं.

पितरों के लिए दीपक जलाने का मुहूर्त

हरियाली अमावस्या के दिन आप प्रदोष काल में पितरों के लिए दीपक जला सकते हैं. 4 अगस्त को शाम 7.10 बजे सूर्यास्त होगा और उसके बाद जब अंधेरा होने लगे तब आप अपने पितरों के लिए दीपक जला सकते हैं. दीप दान करने के अलावा आप देव वृक्ष की श्रेणी के पौधों को लगाकर भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं

दीप अमावस्या का महत्व

साल भर में आनेवाली हर अमावस्या की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, लेकिन महाराष्ट्र में श्रावन महीने की शुरुआत से पहले मनाई जाने वाली अमावस्या बेहद खास मानी जाती है. महाराष्ट्र में यह पूजा आने वाले श्रावण के स्वागत की तैयारी है, इस दिन आटे या बाजरे के आटे के दीपक को प्रज्जवलित करके दक्षिण दिशा में रखना चाहिए. इस दीपक को पितरों की पूजा के लिए रखने से घर में सुख-शांति आती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं, ताकि वे अपने वंश से तृप्त हो सकें. ऐसे में कहा जाता है कि जब वो वापस पितृ लोक लौटते हैं तो उनके मार्ग में अंधेरा न हो, इसके लिए दीपक जलाए जाते हैं, ताकि लौटते समय उनका मार्ग दीयों की रोशनी से रोशन रहे. अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त दीपदान करने से वे प्रसन्न होते हैं.