नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा की है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद देश की शीर्ष बैंक ने मिडल क्लास को बड़ी राहत देते हुए तत्काल ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है. जिसके बाद से घर, कार आदि के लिए लों लेना सस्ता हो जाएगा.
जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है. जिससे रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तक रहने का अनुमान जताया. जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के लिये यह अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया है.
अर्थशास्त्रियों ने पहले ही महंगाई घटने के चलते ब्याज दरों में 0.25 फीसदी तक की कटौती की उम्मीद जताई थी. बता दें कि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की नियुक्ति और अंतरिम बजट पेश किये जाने के बाद केन्द्रीय बैं क कीयह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है. मौद्रिक नीति समिति-एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक मुंबई में मंगलवार को शुरू हुई थी.
अपनी अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति में बैंक ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा था. इससे पहले अगस्त 2017 में आरबीआई ने रेपो रेट में कमी की थी.
ज्ञात हो कि आरबीआई जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है. जिसके बाद ही बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को कर्ज यानि लोन देते हैं. इसलिए इसके घटने से सभी तरह के लोन सस्ते होने की आशंका है. वहीँ रिवर्स रेपो रेट का मतलब है वह दर जिस पर बैंकों को अपने जमा पैसे पर आरबीआई ब्याज देती है. बाजार में कैश ज्यादा हो जाने पर अमूनन आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है. जिससे बैंक आरबीआई के पास ज्यादा कैश दें और बाजार से नकदी खुद कम हो जाए.