
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूस के कई युवा अपने देश से भाग गए और जर्मनी में शरण ली. अब उनमें से कुछ युवा स्थानीय राजनीति में शामिल हो गए हैं और इसी में आगे बढ़ना चाहते हैं.रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला कर दिया था. तीन साल बाद भी यह युद्ध जारी है. दोनों तरफ से हजारों लोग मारे गए हैं. लाखों लोगों को मजबूरन अपना घर-बार छोड़कर दूसरी जगहों पर शरण लेना पड़ा है. यूक्रेन के लोग इस डर से अपने घर से बेदखल हुए कि कहीं वे हमले की चपेट में न आ जाएं. वहीं, रूस के हजारों लोग इस डर से अपना घर छोड़कर भाग गए कि अगर वे इस युद्ध के खिलाफ कुछ भी बोलते हैं, तो अधिकारी उन्हें तुरंत निशाना बना सकते हैं.
पिछले तीन वर्षों में, युद्ध की आलोचना करने वाले दसियों हजार रूसी लोग दमन और आपराधिक मुकदमों से बचने के लिए अपने देश से भाग गए हैं और जर्मनी में शरण ली है. उनमें से कुछ लोग अब जर्मन राजनीति में बदलाव लाना चाहते हैं. इसलिए, वे स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए हैं.
रूस की स्थानीय राजनीति से लेकर जर्मन संसदीय चुनाव तक
21 वर्षीय इला मकारोव यूक्रेन पर रूसी हमला शुरू होने के कुछ समय बाद ही यूराल इलाके में अपने गृहनगर इझेव्स्क में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए. सबसे पहले, उन्होंने स्थानीय चुनावों में भाग लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें उम्मीदवार के रूप में पंजीकरण से वंचित कर दिया गया.
इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और युद्ध-विरोधी अभियान चलाते हुए मॉस्को में नगरपालिका परिषद के लिए चुनाव लड़ा. उनके इस कदम से नाराज अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की. सितंबर 2022 में चुनावों के एक सप्ताह बाद, मकारोव को प्रशासनिक आरोपों का सामना करना पड़ा और उन्हें 15 दिनों के लिए हिरासत में रखा गया.
जनवरी 2023 में दूसरी बार गिरफ्तारी के बाद, मकारोव के वकील ने उन्हें चेतावनी दी कि उन पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है. इसलिए, उन्होंने रूस छोड़ने का फैसला किया और दक्षिणी-पश्चिमी जर्मन राज्य राइनलैंड-पैलेटिनेट के शहर वोर्म्स में चले गए.
मकारोव ने कहा कि उन्होंने पहले यह तय नहीं किया था कि वे जर्मनी में रहना चाहते हैं या नहीं. हालांकि, उन्होंने कहा कि जिस देश में वे रहते थे वहां ‘सक्रिय रुख अपनाने की इच्छा' अंततः उन पर हावी हो गई.
जुलाई 2024 में यूरोपीय संसद के चुनावों से प्रेरित होकर मकारोव जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) में शामिल हो गए. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि इस सेंटर-लेफ्ट पार्टी के कार्यक्रम उनके विचारों से सबसे ज्यादा मेल खाते हैं.
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मकारोव को रूसी और यूक्रेनी भाषा में प्रचार अभियान चलाने के दौरान, पार्टी के विचारों और कार्यक्रमों की जानकारी देने वाले स्टैंड पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके बारे में मकारोव ने कहा कि उन्होंने फरवरी 2025 में जर्मन संसदीय चुनावों से पहले स्थानीय यूक्रेनियन लोगों से बात करते हुए यह सीखा था.
उनके सूचना बूथ ज्यादातर रूसी और यूक्रेनी भाषी मतदाताओं की बड़ी आबादी वाले जिलों में स्थापित किए गए थे. मकारोव ने कहा कि यह काम उन्हें रूस की गली-मोहल्ले की राजनीति की याद दिलाता है, जहां लोग अपनी परेशानियां साझा करते थे और वह उन्हें सुनकर सुलझाने में मदद करते थे.
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए वह स्थानीय स्तर पर रूसी और यूक्रेनी भाषी एसपीडी पार्टी सदस्यों का एक कार्य समूह बनाना चाहते हैं. इस समूह का काम प्रचार सामग्री का जर्मन भाषा से अनुवाद करना और रूसी भाषी कार्यकर्ताओं व पार्टी सदस्यों के लिए विचार-विमर्श कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा.
मकारोव का कहना है कि वे जर्मनी की नागरिकता के लिए भविष्य में आवेदन करने वाले हैं और जब उन्हें नागरिकता मिल जाएगी, तो वह एसपीडी पार्टी के भीतर ही अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाना चाहेंगे.
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मॉस्को की 35 वर्षीय कलाकार और एक्टिविस्ट अनास्तासिया लुकोम्स्काया यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रूस छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात चली गई थीं. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद उन्हें एहसास हुआ कि घर वापस लौटना उनके लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि विपक्षी दलों की रैलियों में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार हिरासत में लिया गया था.
2023 की गर्मियों में, वह जॉर्जिया चली गईं और युवा राजनीतिक आंदोलन ‘वेस्ना' या ‘स्प्रिंग' में शामिल हो गईं, जिसे अब रूसी अधिकारियों ने ‘चरमपंथी संगठन' करार दिया है. बाद में, लुकोम्स्काया जर्मनी आ गईं. सरकार की ओर से अनिवार्य ‘इंटिग्रेशन कोर्स' करने के दौरान उन्होंने जर्मनी की राजनीतिक स्थिति को समझा और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) में शामिल होने का निर्णय लिया.
उन्होंने डीडब्ल्यू को अपनी पसंद के बारे में बताते हुए कहा, "रूस की कोई भी राजनीतिक पार्टी मेरे विचारों से इतनी मिलती-जुलती नहीं थी.” उदाहरण के लिए, वह एफडीपी के आर्थिक विचारों के साथ-साथ यूक्रेन और इस्राएल के लिए इसके समर्थन से खुद को जोड़ सकती थी.
फरवरी में संसदीय चुनाव अभियान के दौरान, लुकोम्स्काया भी सड़कों पर प्रचार में लगी हुई थीं. उन्होंने दिवंगत रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के लिए 2018 में स्वयंसेवक के तौर पर काम किया था. उससे मिले अनुभव का इस्तेमाल उन्होंने संसदीय चुनाव अभियान के दौरान किया.
हालांकि, लुकोम्स्काया अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं, लेकिन वह रचनात्मक सामग्री बनाना चाहती हैं. वह अपनी कला के जरिए जर्मन लोगों के बीच एफडीपी पार्टी को लोकप्रिय बनाना चाहती हैं.
रूस में पुलिस की धमकी के बाद ग्रीन पार्टी में शामिल होने का फैसला
21 वर्षीय इला जेर्नोव का जन्म रूस के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक औद्योगिक शहर टॉलयाटी में हुआ था. वह रूस के तातारस्तान गणराज्य की राजधानी कजान में कॉलेज गए, जहां उन्होंने युद्ध विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लिया. नतीजतन, पुलिस ने उनके घर की तलाशी ली. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें धमकाया और पुलिस स्टेशन ले गए.
अपनी रिहाई के बाद, जर्नोव ने अपने वकील और परिवार से बात की और सर्बिया भाग गए. मार्च 2023 में वह लाइपजिग चले गए और तब से वहीं रह रहे हैं.
2025 की शुरुआत में, जेर्नोव पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी में शामिल हो गए. इसके बारे में उनका कहना है कि यह पार्टी उन समस्याओं को हल करना चाहती है जो मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "मैं शाकाहारी हूं. मुझे पर्यावरण, मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय सोच की परवाह है. मैं खुद को पूरी तरह से वामपंथी नहीं मानता, बस हमारे मूल्य और सोच मिलते-जुलते हैं.”
जेर्नोव मानते हैं कि भाषा की बाधा के कारण जर्मन राजनीति में पूरी तरह से भाग लेना उनके लिए अभी भी मुश्किल है. हालांकि, वे पार्टी के युवा संगठन ‘ग्रीन यूथ' की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. हाल ही में उन्हें प्रवासी मामलों के लिए बने इसके कार्य समूह में शामिल होने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे या नहीं.
जेर्नोव ने बताया, "मैं खुद एक प्रवासी रहा हूं, इसलिए मुझे उस तरह का अनुभव है, लेकिन मुझे यहां की स्थानीय समस्याओं की पूरी जानकारी नहीं है.” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अभी तक नहीं पता है कि वे पार्टी की मदद किस तरह कर सकते हैं. पार्टी के लिए उनके पास कौन-सी नई बातें या सुझाव हो सकते हैं.
हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि वे चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. जेर्नोव रूस में कैद वामपंथी कार्यकर्ताओं का समर्थन करने के लिए पत्र-लेखन कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते हैं. जब वे जर्मन भाषा सीख लेंगे, तो वह ग्रीन पार्टी में अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाना चाहेंगे.
इन सब के बीच सबसे अहम बात यह है कि वह स्वतंत्र रहना चाहते हैं और कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिससे उन्हें अपनी जिंदगी में संतुष्टि मिले.