केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, जेल में बंद कैदी योग्यता अनुसार ले सकेंगे अलग-अलग कोर्सेस में दाखिला, नहीं देनी होगी फीस
जेल (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: अब जेल में बंद कैदियों की भी शिक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया जा रहा है.  कैदियों  (Prisoners) की शिक्षा बीच में न छूटे इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक यूनिट द्वारा विशेष पहल की जा रही है. इस पहल के अंतर्गत कैदियों को उनकी पात्रता और इच्छा के अनुरूप विभिन्न कोर्सो में दाखिला अथवा पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल सकेगा. जेल में सजा काटने के दौरान कैदी जेल के अंदर ही अपनी कक्षाएं लेंगे. उन्हें स्टडी मैटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही सजा काट रहे इन कैदियों की जेल में ही परीक्षाएं भी होंगी. कैदियों को यह शिक्षा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी.

एनआईओएस केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक संस्थान है. यहां से प्राप्त की गई डिग्री डिप्लोमा अथवा अन्य कोई सर्टिफिकेट जेल के बाहर आगे की पढ़ाई में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. एनआईओएस के मुताबिक इन डिग्री डिप्लोमा व सर्टिफिकेट के आधार पर जेल से रिहा होने वाले कैदियों को जेल के बाहर इससे संबंधित आगे की शिक्षा में इन डिग्रियों के आधार पर दाखिला ले सकते हैं. एनआईओएस ने बताया कि उन्होंने देश भर की जेलों में अध्ययन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है. खास बात यह है कि जेल में बंद कैदियों को प्रदान की जाने वाली यह शिक्षा पूरी तरह निशुल्क है. यह भी पढ़े: UPPBPB Result 2018 Declared: यूपी पुलिस जेल वार्डर, फायरमैन रिजल्ट uppbpb.gov.in पर घोषित, ऐसे करें चेक

एनआईओएस के मुताबिक उनके द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों को उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य सभी उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त है। जेल में बंद कैदियों के अलावा एनआईओएस का मिशन लड़कियों, महिलाओं, ग्रामीण युवाओं, कामकाजी पुरुषों, एससीएस और एसटी, अलग-अलग विकलांग व्यक्तियों और अन्य वंचित व्यक्तियों को शिक्षा प्रदान करना है, जो किंही कारणों से अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का भी कहना है कि एनआईओएस भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है.  एनआईओएस द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों को उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य सभी उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त है.

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी औपचारिक शिक्षा तंत्र से बाहर हो चुके व्यक्तियों की शिक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए हैं उन्हें शिक्षित करने की बात कह चुके हैं। दरअसल देश में सभी आयु वर्ग के छात्रों के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है। बावजूद इसके अभी भी युवाओं का एक ऐसा वर्ग है जो शिक्षा और शिक्षा नीति के प्रावधानों से बाहर है। यह युवाओं का वह वर्ग है जो औपचारिक शिक्षा के मौजूदा सिस्टम से बाहर है.

शिक्षा मंत्रालय अब ऐसे व्यक्तियों को भी शिक्षित और प्रशिक्षित करने का पक्षधर है। स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि औपचारिक शिक्षा से अछूते युवाओं के लिए कौशल, पुन कौशल और अप-स्किलिंग की रणनीतियों के साथ आगे आना चाहिए.