दिल्ली/भोपाल/रीवा, 10 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी सौर उर्जा परियोजना को दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्र को समर्पित किया. इस परियोजना में 250 मेगावाट क्षमता की तीन ईकाईयां है. यह सौर उर्जा परियोजना की क्षमता 750 मेगावाट है. इसमे तीन इकाईयां 250-250 मेगावाट की है. इस परियोजना की 24 प्रतिशत बिजली दिल्ली मैटो को दी जाएगी. यह एशिया की सबसे बड़ी सौर उर्जा परियोजना है.
इस परियोजना का प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल लोकार्पण किया. यह लगभग चार हजार करोड़ की लागत से स्थापित की गई परियोजना है. इस मौके पर भोपाल मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिल्ली में केंद्रीय उर्जा मंत्री आर के सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद्र प्रधान, थावरचंद्र गहलोत, प्रहलाद पटेल मौजूद रहे. इस परियोजना में स्थित सौर पार्क (कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर) के अंदर 250 मेगावट की तीन सौर इकाइयां स्थित हैं. प्रत्येक इकाई 500 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अब देश का लक्ष्य है कि सोलर पैनल सहित तमाम उपकरणों के लिए हम आयात पर अपनी निर्भरता को खत्म करें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी pic.twitter.com/WELD8Fi4NV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 10, 2020
सौर पार्क को मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम मर्यादित तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सोलर एनर्जी कॉपोर्रेशन अफ इण्डिया की संयुक्त कम्पनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) द्वारा विकसित किया गया है. पार्क को विकसित करने के लिये आरयूएमएसएल को केन्द्र से 138 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. पार्क को विकसित करने के उपरांत महेन्द्रा रिन्यूएबल्स प्रायवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पवर प्रा ली और आरिन्सन क्लीन एनर्जी प्रलिक को रिवर्स ऑक्शन द्वारा इस पार्क में 250-250 मेगावट की तीन सोलर उत्पादन इकाइयों को विकसित करने के लिये चुना गया.
रीवा सोलर प्रोजेक्ट श्रेष्ठ परिणाम का उदाहरण है, जिसे केन्द्र तथा राज्य सरकार के तालमेल से प्राप्त किया जा सकता है. यह परियोजना प्रथम नवकरणीय ऊर्जा परियोजना है, जो कि प्रदेश के बाहर संस्थागत ग्राहकों जैसे दिल्ली मेट्रो को बिजली प्रदान करेगी. परियोजना से दिल्ली मेट्रो को 24 प्रतिशत बिजली प्राप्त होगी तथा शेष 76 प्रतिशत मध्यप्रदेश की विद्युत वितरण कम्पनियों को मिलेगी. परियोजना भारत के 175 गीगावट संस्थापित क्षमता के लक्ष्य को वर्ष 2022 तक पूर्ण करने की वचनबद्घता को दशार्ता है.