ओडिशा के पुरी में आयोजित विश्वप्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते अफरातफरी मच गई. इस घटना में 500 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. यह हादसा उस वक्त हुआ जब लोग भगवान बलभद्र के रथ 'तालध्वज' को खींचने के लिए अचानक एक साथ उमड़ पड़े. जैसे ही तालध्वज रथ को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई, हजारों की संख्या में श्रद्धालु रस्सी को छूने और खींचने की कोशिश में एक साथ भीड़ गए. इसी दौरान भीड़ का नियंत्रण टूट गया और वहां भगदड़ जैसे हालात बन गए. अधिकतर लोगों को हल्की चोटें आईं, लेकिन करीब आठ लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
पुरी रथ यात्रा भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है, जहां आस्था का सैलाब उमड़ता है. लेकिन ऐसे आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण बेहद जरूरी हो जाते हैं.
क्या है रथ यात्रा और इसकी परंपरा?
पुरी की रथ यात्रा एक सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक रथों पर ले जाया जाता है. यह यात्रा लगभग 2.5 किलोमीटर की होती है और लाखों श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेते हैं. भक्तों के लिए यह रथ की रस्सी खींचना पुण्य का काम माना जाता है.
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प्रशासन की तैयारी और तैनाती
इतने बड़े आयोजन के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए करीब 10,000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे. इनमें 8 कंपनियां केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की भी शामिल थीं. पुलिस, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य कर्मियों की टीम मौके पर तैनात थी, लेकिन भीड़ के असामान्य दबाव के कारण व्यवस्था चरमरा गई.
पुरी जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से संयम और सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा कि रथ यात्रा के अगले चरणों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भीड़ नियंत्रण के अतिरिक्त उपाय किए जाएंगे. साथ ही, अस्पतालों में घायलों के इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है.













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