बंगाल में बढ़ी सियासी हलचल, नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर ममता बनर्जी करेंगी तृणमूल कांग्रेस में बड़ा फेरबदल
सीएम ममता बनर्जी (File Photo)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अगले सप्ताह सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस में संगठन के स्तर पर पदों में फेरबदल किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि 21 जुलाई को तृणमूल अपना वार्षिक शहीद दिवस मनाती है और इससे पहले संगठनात्मक फेरबदल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चुनाव में नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर और “एक व्यक्ति, एक पद” के सिद्धांत को अपनाते हुए फेरबदल किया जा सकता है. कोविड संकट से निपटने, टीकों की मांग पूरी करने में विफल रहे ‘बेशर्म प्रधानमंत्री’: ममता बनर्जी

पॉलिटिकल जानकार बताते है कि उत्तराखंड जैसे हालात पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी उत्पन्न हुए हैं. दरअसल सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं और कोरोना महामारी के चलते पश्चिम बंगाल में उपचुनाव भी मुश्किल नजर आ रहे हैं. ममता बनर्जी ने 4 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. ऐसे में छह महीने यानी 4 नवंबर तक उनका विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है, लेकिन अगर इस अवधि के भीतर उपचुनाव नहीं हुए तो ममता बनर्जी के सामने भी तीरथ सिंह रावत जैसा संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है.

इस खतरे को भांपते हुए सीएम ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा से मंगलवार को विधान परिषद के गठन का बिल पारित करा लिया. हालांकि इसे अब केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. साथ ही राष्ट्रपति की सहमति की भी आवश्यकता होगी. ऐसे में अगर केंद्र की मोदी सरकार इसे मंजूरी नहीं देती है तो बंगाल में ममता बनर्जी की कुर्सी जा सकती है.

उल्लेखनीय है कि कोई मुख्यमंत्री या मंत्री विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य चुने बिना केवल छह महीने तक ही  पद पर बना रह सकता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) कहता है कि मुख्यमंत्री या मंत्री अगर छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो उस मंत्री का पद इस अवधि के साथ ही समाप्त हो जाएगा.