Lok Sabha Election Results 2019: अगर फिर आई मोदी सरकार तो इन दो राज्यों में हो सकता है तख्तापलट
पीएम मोदी (फाइल फोटो)

एग्जिट पोल 2019 के साथ ही मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) और कर्नाटक (Karnataka) में सियासी हलचल बढ़ गयी है. बीजेपी यहां कांग्रेस सर्कार को कड़ी चुनौती दे रही है. सूत्रों की माने तो बीजेपी इन दोनों राज्यों में तख्तापलट की कोशिश कर सकती है. इन दोनों राज्यों की सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. बता दें कि एग्जिट पोल में NDA को बहुमत मिलने के अनुमान से प्रदेश के बीजेपी नेता उत्साहित है. सोमवार को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava) ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर डाली.

कयास लगाये जा रहे है कि बीजेपी इस दौरान फ्लोर टेस्ट करने की मांग भी कर सकती है. हालांकि, इस सवाल पर भार्गव ने कहा, "यह पार्टी से चर्चा के बाद तय होगा. अभी तो लोकमहत्व के विषयों पर चर्चा के लिए सत्र बुलाए जाने की मांग की है."

आंकड़े:

बता दें कि मध्यप्रदेश में पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमे कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, सरकार चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक के समर्थन से चल रही है. बीजेपी के पास 109 विधायक हैं. वैसे, कई निर्दलीय विधायक सरकार से नाराजी व्यक्त कर चुके हैं.

यह भी पढ़े: सीएम कमलनाथ ने कहा- एक बार फिर हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार

कर्नाटक:

सूबे में कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस के कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने है. मगर, बीजेपी पिछले काफी समय से यहां भी तख्तापलट करने के प्रयास कर रही हैं. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता येदियुरप्पा ने लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक की सरकार के बने रहने पर संदेह व्यक्त किया था. वैसे कांग्रेस और जेडीएस के नेता आए सिन एक-दुसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं.

आंकड़े:

कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस दौरान 224 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 78 तो जेडीएस के 37 विधायक जीते थे. वहीं, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी (104 विधायक) बनकर उभरी थी मगर सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं जुटा पाई थी. सूबे में अगर बीजेपी 8 विधाकाओं का समर्थन हासिल करती है तो सरकार बना सकती है.

सोमवार को कर्नाटक की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने दोनों दलों के नेताओं के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला रोककर 'संघर्षविराम' का आह्वान किया.