माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नरेंद्र दामोदर मोदी को केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद से राजनीतिक हलकों में सुगबुगाहट तेज हो गई हैं. पिछले दो सत्रों के बाद तीसरे सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार से तमाम उम्मीदें और चुनौतियां हैं. उम्मीद की जा रही है कि अपनी पार्टी की मूल नीतियों से समझौता किये बगैर तमाम उम्मीदों और चुनौतियों पर खरा उतरेंगे, और पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. प्रधानमंत्री के सामने जो अहम् चुनौतियां हैं, जिनमें प्रमुख हैं आर्थिक सुधार, सामाजिक नीतियां, विदेशी संबंध और बुनियादी ढांचों के विकास समेत कुछ विभिन्न क्षेत्र हैं, जहां लोगों ने विशेष उम्मीदें लगा रखी है. जिनके बारे में सिलसिलेवार आप यहां देख सकते हैं
आर्थिक वृद्धि और विकास
लोकसभा के हालिया चुनाव के दौरान विपक्ष जिन मुद्दों पर सबसे ज्यादा हमलावर रहा है, उसमें से एक था रोजगार व्यवस्था में गिरावट. भावी सरकार के समक्ष रोजगार सृजन करना अहम चुनौती रहेगी. इसके अंतर्गत औद्योगिक विकास के तहत ‘मेक इन इंडिया’ जैसे पहल के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करना होगा. नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप हेतु निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन देना होगा. इसके अलावा विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और व्यापार प्रणाली को आसान बनाने के लिए व्यवस्था का सरलीकरण करना होगा.
बुनियादी ढांचा और शहरी विकास
पिछले सेशन में भाजपा सरकार ने शहरी विकास के तहत शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु स्मार्ट सिटी परियोजनाएं शुरू की थी, इस सेशन में उसे विस्तार देने का साथ पूरा करना होगा. हाई स्पीड रेल परियोजनाओं सहित सड़क, रेल, और हवाई कनेक्टिविटी में वृद्धि करनी होगी. साथ ही बेहतर कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान देना होगा.
सामाजिक नीतियां और कल्याण कार्यक्रम
इस तीसरे सत्र में मोदी सरकार को ‘आयुष्मान भारत’ जैसी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का विस्तार और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को आगे बढ़ाना होगा. इसके अलावा शैक्षिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, पाठ्यक्रम आधुनिकीकरण और डिजिटल शिक्षा को बढ़ाना होगा. हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए सामाजिक सुरक्षा, जल और कल्याणकारी कार्यक्रमों का विस्तार करना होगा.
कृषि सुधार नीतियां
गत कुछ वर्षों से विपक्ष किसानों के कल्याण एवं एमआरपी जैसे मुद्दों पर भी हल्ला मचाता रहा है. मोदी सरकार को अपने तीसरे कार्यकाल में किसानों के कल्याणकारी कार्यों के साथ कृषि उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने और कृषि संकट को कमतर करने के लिए नीतियों के कार्यान्वयन पर ध्यान देना होगा. इसके अलावा उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना प्रमुख होगा.
ऊर्जा एवं पर्यावरण
देश के विकास में ऊर्जा और पर्यावरण की महत्ता को कमतर नहीं आंका जा सकता. मोदी सरकार के सामने जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का विस्तार एक चुनौती होगी. पर्यावरण के संदर्भ में मूलभूत नीतियों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना, प्रदूषण कम करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है.
विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा
पिछले दो कार्यकालों में मोदी सरकार ने विदेशी नीति और रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने में बेहतर भूमिका निभाई है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है. अमेरिका, यूरोपीय संघ और पड़ोसी देशों सहित प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना होगा. सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर निरंतर ध्यान देना होगा. विवादों को कूटनीतिक रूप से सुलझाने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा.