VIDEO: एस जयशंकर ने पाकिस्तान को दिखाया आईना! SCO में उठाया CPEC का मुद्दा, भारत की संप्रभुता पर खतरा

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में एक महत्वपूर्ण विषय को उठाया. उन्होंने पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (CPEC) परियोजना के माध्यम से भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया.

CPEC का संदर्भ 

CPEC, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है, का उद्देश्य चीन के शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना है. इस परियोजना के तहत कई बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है, लेकिन यह भारतीय क्षेत्र, विशेषकर जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों से गुजरता है, जिसे भारत अपना मानता है.

जयशंकर का बयान 

डॉ. जयशंकर ने बैठक में कहा, "हालांकि, माननीय सदस्यों, ऐसा करने के लिए सहयोग को आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को पहचानना चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारियों पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडा पर. यह तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक हम वैश्विक प्रथाओं, विशेषकर व्यापार और परिवहन के संबंध में चयनात्मक व्यवहार नहीं अपनाते."

इस बयान ने पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच हलचल पैदा कर दी है, जिन्होंने CPEC परियोजना के महत्व को देखते हुए जयशंकर की टिप्पणियों का विरोध किया है.

भारत की चिंता 

भारत के लिए CPEC केवल एक आर्थिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारतीय संप्रभुता का मुद्दा भी है. भारत लगातार यह बात करता आया है कि CPEC का निर्माण उन क्षेत्रों से हो रहा है, जो उसके नियंत्रण में हैं. इस प्रकार, यह न केवल एक राजनीतिक समस्या है, बल्कि यह एक सुरक्षा चिंता भी बन गई है.

CPEC का सामरिक महत्व 

CPEC का सामरिक महत्व भी है, क्योंकि यह चीन को भारत के पश्चिमी सीमाओं के निकट लाता है. इससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है.

डॉ. जयशंकर का यह बयान दर्शाता है कि भारत इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. यह बैठक न केवल CPEC की चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी हो सकती है.

इस प्रकार, CPEC और उसके माध्यम से उठे भारतीय संप्रभुता के मुद्दे पर भारत की स्थिति और सख्त होती जा रही है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन मिल रहा है. यह भारत के लिए एक अवसर है कि वह अपनी चिंताओं को वैश्विक मंच पर रखे और अपनी संप्रभुता की रक्षा करे.