कुछ पश्चिमी देशों को भारत और रूस के रिश्तों पर चिंता है, खासकर रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद. इन देशों ने रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, और वे भारत से भी रूस से कारोबार कम करने की उम्मीद करते हैं. लेकिन भारत ने हमेशा यह कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा और बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होगा.
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख समाचार चैनल, Sky News Australia से बातचीत में अपने देश के रूस के साथ रिश्तों पर टिप्पणी करते हुए एक अहम बयान दिया. उन्होंने कहा, "अगर मैं उस तर्क का इस्तेमाल करूं, तो पाकिस्तान से कई देशों के रिश्ते हैं, मुझे देखिए कि मुझे कितना गुस्सा आना चाहिए." यह बयान उन्होंने उन देशों की चिंता और नाराजगी पर प्रतिक्रिया करते हुए दिया था, जो भारत और रूस के बीच संबंधों को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं.
भारत और रूस का ऐतिहासिक संबंध
भारत और रूस के बीच गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. ये दोनों देश राजनीतिक, रक्षा और आर्थिक मामलों में एक-दूसरे के साथ लंबे समय से सहयोग करते रहे हैं. रूस भारत का एक प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है, और दोनों देशों के बीच सैन्य और व्यापारिक संबंध मजबूत हैं. इसके अलावा, रूस ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के हितों की रक्षा की है, जिससे दोनों देशों के बीच एक मजबूत सामरिक साझेदारी स्थापित हुई है.
"If I was to use that logic, so many countries have relationship with Pakistan, look at the angst it should cause me"
EAM Dr S Jaishankar to Sky New Australia on countries having angst over India's relationship with Russia
Ctsy: Sky News Australia https://t.co/TZ3YcC3DRK pic.twitter.com/knxvTnb713
— Sidhant Sibal (@sidhant) November 13, 2024
विदेश मंत्री का तर्क
डॉ. जयशंकर ने इस बयान के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि हर देश अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से विदेश नीति बनाता है और यह किसी अन्य देश के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए. उन्होंने उदाहरण दिया कि पाकिस्तान से कई देशों के रिश्ते हैं, लेकिन क्या यह तर्क उन्हें नाराज कर सकता है? उन्होंने यह भी बताया कि जब भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपने रिश्ते तय करता है, तो इसे किसी अन्य देश के दखल का कारण नहीं होना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति
आजकल, भारत एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर विदेश नीति पर जोर दे रहा है, जो उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है. रूस के साथ भारत के रिश्ते की महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर वैश्विक संकटों के बीच, जैसे कि यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा संकट. भारत अपने नीति निर्माण में कभी भी बाहरी दबावों को नहीं मानता, बल्कि अपने राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हितों और वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता देता है.
डॉ. एस. जयशंकर के इस बयान से यह संदेश साफ है कि भारत अपने विदेश नीति के मामलों में पूरी तरह से स्वतंत्र है और अपने हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है. भारत का यह दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश के रूप में उभरने में मदद कर रहा है. चाहे वह रूस के साथ संबंध हो या अन्य वैश्विक मुद्दे, भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा और बाहरी दबाव से नहीं घबराएगा. यह बयान भारत की विदेश नीति के आत्मनिर्भर और मजबूत दृष्टिकोण को और स्पष्ट करता है.