पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में मचे आंतरिक घमासान के बीच पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से मुलाकात कर सूबे की सियासत में खलबली मचा दी. हालांकि मुलाकात के बाद चिराग ने कहा कि वह अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की पहली पुण्यतिथि पर 12 सितंबर को आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के लिए सिर्फ निमंत्रण देने आये थे. Bihar: केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने सीएम नीतीश कुमार से की मुलाकात, विभागीय कार्यालय खोलने के लिए मांगी जमीन
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को है, लेकिन चिराग पासवान ने इसे 12 सितंबर को मनाने का फैसला किया है. इससे पहले, चिराग पासवान ने बिहार के राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की और उन्हें इसके लिए आमंत्रित किया. पासवान ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की और उन्हें कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया. बैठक के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद थे. चिराग पासवान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी आमंत्रित किया है और इसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निमंत्रण देंगे.
बिहार में नए सियासी समीकरण के आसार
उल्लेखनीय है कि लोक जनशक्ति पार्टी में कलह की शुरुआत के साथ ही तेजस्वी पर चिराग की नजर थी. हालांकि अब दोनों युवा नेताओं की मुलाकात के बाद राज्य में नए सियासी समीकरण बनने के आसार है. दरअसल बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) जहां एलजेपी की अलग गुट सांसद पशुपति पारस की पीठ पर हाथ फेर रही है वहीं आरजेडी एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए न्योता दे चुकी है.
चिराग और लालू एक दूसरे की कर चुके है तारीफ
बीते महीने चिराग ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को पार्टी के नेता के रूप में मान्यता देने के लिए उनका आभार व्यक्त किया था. उन्होंने तब कहा था, "लालू जी ने मेरे पिता के साथ काम किया और इन दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत संबंध बहुत सहज थे। मैं व्यक्तिगत रूप से एक पिता की तरह उनका सम्मान करता हूं." हालांकि तब उन्होंने महागठबंधन के साथ जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर कुछ नहीं कहा था.
दरअसल लालू प्रसाद ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था, "चिराग पासवान ने बिहार में बड़े उतार-चढ़ाव के बावजूद खुद को पार्टी के नेता के रूप में स्थापित किया है. वह पार्टी में केन्द्रित बल होंगे और वह पार्टी के केंद्र में बने रहेंगे."
चिराग को बीजेपी का नहीं मिला साथ!
चिराग पासवान को जुलाई के महीने में उस समय झटका लगा था जब उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने विद्रोह कर दिया और 5 सांसदों के समर्थन से पार्टी को विभाजित कर दिया. पारस के एलजेपी के अलग गुट बनाए जाने के बाद एलजेपी के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासावान के पुत्र चिराग पासवान जेडीयू से नाराज होने के साथ इस कठिन दौर में बीजेपी की चुप्पी से भी आहत हुए हैं. कुछ समय पहले चिराग ने स्पष्ट कह दिया था कि वह बीजेपी के स्टैंड से आहत हैं.
आरजेडी का मास्टर प्लान!
जून महीने में तेजस्वी ने चिराग को 'भाई' कहते हुए कहा था, "चिराग भाई को तय करना है कि वे आरएसएस के बंच ऑफ थॉट्स के साथ रहना है या बाबा साहब के संविधन के साथ रहना चाहते हैं." उन्होंने आरजेडी द्वारा एलजेपी पर किए गए उपकार की भी याद दिलाई. जानकार कहते हैं कि तेजस्वी की नजर पासवान वोटों पर टिकी है. इसलिए आरजेडी चिराग को महागठबंधन में शामिल कर इन वोटों को महागठबंधन से जोड़ना चाहती है.
तेजस्वी और चिराग की जोड़ी NDA के लिए बड़ा नुकसान!
पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो तेजस्वी और चिराग अगर इमानदारी से अगर एक साथ आ जाएं तो सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों नेता युवा हैं और बिहार की सामान्य जनता एक जुझारू और उत्साही नेता की आवश्यकता महसूस कर रही है. आरजेडी का वोट बैंक यादव और मुस्लिम माना जाता है. ऐसे में इसकी नजर पासवान मतदाताओं पर है. महागठबंधन अपने इस नए समीकरण से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के उस गणित को करारा जवाब देना चाहते हैं, जिससे वह सत्ता में है.
'किंग मेकर' बन सकते है चिराग?
राजनीतिक हलकों में 'किंग मेकर' माने जाने वाले लालू प्रसाद ने कहा कि चिराग पासवान दलित और महादलित समुदायों में अपनी लोकप्रियता के कारण बिहार में किंग मेकर बन सकते हैं. एक राजनीतिक विषलेषक के अनुसार पासवान जाति के मतदाता रामविलास के बाद चिराग को ही अपना नेता मान रहे हैं. बहरहाल, यह तय है कि चिराग और तेजस्वी के साथ आने के बाद राज्य का सियासी समीकरण बदलेगा. माना यह भी जा रहा है कि अब चिराग उस गठबंधन में नहीं जाएंगे, जहां उनके चाचा पारस होंगे. वैसे, चिराग को अंतिम निर्णय लेना है कि वे एनडीए के साथ जाते हैं या महागठबंधन के साथ या फिर अकेले ही पिता रामविलास की बनाई सियासी पिच पर बल्लेबजी कर राजनीति के धुरंधरों से निपटेंगे.