Bihar Assembly Elections 2020: बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में दमखम के साथ जुटे है. लेकिन राज्य के प्रमुख गठबंधनों में से एक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) में अभी भी सीटों को लेकर रार ठनी हुई है. हालांकि तमाम नेता इसका समाधान ढूंढने में लगे हुए है. एनडीए के प्रमुख घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (Janata Dal United) और एलजेपी में आपसी मतभेद से तनाव बरकरार है. इस तनातनी के बीच बीजेपी ने एलजेपी को 27 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन इस पर भी बात बनती नहीं दिख रही है. BJP ने कहा, बिहार में राजग के तीनों घटक दल मिलकर लड़ेंगे चुनाव
केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि मुझे लगता है चिराग पासवान (Chirag Paswan) एनडीए के साथ ही रहेंगे क्योंकि एनडीए के बाहर जाने से उनका कोई फायदा नहीं होगा. मोदी सरकार में मंत्री रामदास अठावले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) भी एनडीए का हिस्सा है. उधर, राजनीति के जानकार भी इसी बात की तरफ इशारा कर रहे है.
रिपोर्ट्स की मानें तो जल्द ही एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर घोषणा की जाएगी और चार या पांच अक्टूबर को पहले चरण के मतदान वाली सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया जा सकता है. एलजेपी नेता चिराग पासवान ने संकेत दिए हैं कि यदि सीटों का सम्मानजनक बंटवारा नहीं हुआ तो वह राज्य की 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है.
पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो एलजेपी के लिए एनडीए से बाहर जाना बहुत मुश्किल है. क्योकि एनडीए में रहना एलजेपी की राजनीतिक जरूरत है. एलजेपी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि उनका गठबंधन बीजेपी से है. हालांकि जानकार इस नाराजगी में एक और एंगल बता रहे है. कहा जा रहा है कि एलजेपी के कारण बीजेपी नीतीश कुमार से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी और चुनाव के बाद नतीजों के हिसाब से अपने खेमे से किसी को मुख्यमंत्री बनाएगी.
वहीं, अगर एलजेपी के पुराने रिकॉर्ड को देखा जायें तो उसका प्रदर्शन बीते समय के साथ खराब हुआ है. साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने 42 सीटों पर दांव खेला लेकिन सिर्फ़ दो ही सीटें जीत पाई थी और वोट प्रतिशत 4.83 था. साल 2010 में एलजेपी ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा और 75 में से केवल 3 सीटें जीतीं और वोट प्रतिशत गिरकर 6.74 फ़ीसदी हो गया. साल 2005 में पार्टी का प्रदर्शन सबसे अच्छा था, तब कुल 178 सीटों पर चुनाव लड़कर 29 सीटे जीत ली थी और वोट प्रतिशत 12 के करीब था. केंद्र ने बिहार चुनाव के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों के 30,000 जवानों की तैनाती के निर्देश दिए
वहीं, इस बार एनडीए में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) भी शामिल हुयी है. जो 2015 में केवल एक ही सीट जीत पाई थी. लेकिन इस बार एनडीए में आने से पहले से मजबूत होकर चुनावी रण में उतरी है. एचएएम के एनडीए में शामिल होने की वजह से एलजेपी का वोट शेयर अबकी बार और कम हो सकता है.
ज्ञात हो कि लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान को केंद्र में मंत्री का पद दिया गया है. भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक रामविलास पासवान ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बिहार चुनाव की जिम्मेदारी अपने बेटे चिराग को सौंपी है.