इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में POCSO के एक आरोपी को अंतरिम जमानत दे दी ताकि वह शिकायतकर्ता से शादी कर सके. अदालत ने राज्य सरकार की इस दलील के बावजूद जमानत की अनुमति दी कि लड़की की शादी की उम्र अभी नहीं हुई है क्योंकि वह केवल 17 वर्ष की है. जस्टिस राजेश सिंह चौहान की हाई कोर्ट की पीठ ने आरोपी और शिकायतकर्ता दोनों के यह कहने के बाद आदेश पारित किया कि वे एक रिश्ते में थे. अपने बचाव में, आरोपी ने अदालत को बताया कि मामला पीड़िता के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर किया गया था क्योंकि वह दूसरे धार्मिक समुदाय से है. Read Also: 17 वर्षीय लड़की का किसी के साथ अपनी मर्जी से भागना अपहरण नहीं है, हाई कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत.
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने एक बच्चे को जन्म दिया था जो अब एक महीने से अधिक का हो चुका है. अदालत ने कहा, "जेल से रिहाई के तुरंत बाद आवेदक को रिहाई की तारीख से 15 दिनों की अवधि के भीतर अभियोजक से शादी करनी होगी."
क्या है POCSO एक्ट?
पॉक्सो (POCSO) एक्ट का पूरा नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्स एक्ट है. इसे हिंदी में बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम भी कहा जाता है. इसके लाने की सबसे बड़ी वजह यही थी कि इससे नाबालिग बच्चियों को यौन उत्पीड़न के मामलों में संरक्षण दिया जा सके. ये कानून ऐसे लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है. वहीं पॉक्सो एक्स के तहत दोषी पाए जाने पर कड़ी सजाओं का भी प्रावधान किया गया है.