
बाला साहेब ठाकरे (Bal Thackeray) का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. उनके नाम से ही मुंबई के लोग कांप जाते थे. उनकी आवाज और बातों में इतना दम था कि वो बड़े से बड़े व्यक्ति को हिला देती थीं. 17 नवंबर 2012 को मुंबई के शिवाजी पार्क में बाला साहेब ठाकरे ने अपने जीवन की आखिरी यात्रा को पूरा किया था. उनकी अंतिम यात्रा के दिन कभी न रुकने वाली मुंबई थम गई थी. उनके अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर लाखों लोगों का हुजूम इकठ्ठा हो गया था. उनकी मृत्यु के शोक में पहली बार पूरी मुंबई बंद हो गई थी. मॉल से लेकर गली, नुक्कड़ की सारी दुकानें बंद हो गई थीं. पूरी मुंबई में जैसे मातम सा पसरा हो. बाला साहेब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था. उन्होंने 'फ्री प्रेस जर्नल' से मुंबई में एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. उनके कार्टून टाइम्स ऑफ इंडिया में भी प्रकाशित होते थे. 1960 में महाराष्ट्र में गुजराती और दक्षिण भारतीय लोगों की संख्या बढ़ने का विरोध करने के लिए उन्होंने साप्ताहिक पत्रिका 'मार्मिक' की शुरुआत की.
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1966 में उन्होंने शिवसेना पार्टी का गठन किया. इस पार्टी का उद्देश्य मराठियों के हितों की रक्षा करना, नौकरियां और रहने की सुविधा उपलब्ध कराना था. अपने विचारों को जनता तक पहुंचाने के लिए 1989 में 'सामना' न्यूज पेपर की शुरुआत की. बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के बाद बाल ठाकरे ने बहुत बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था.
बाला साहेब ठाकरे ने 'मराठी माणूस' के अधिकारों के लिए उत्तर भारतीयों पर भी निशाना साधा. 1980 में उन्होंने हिंदुत्व का मुद्दा अपना लिया और इस मुद्दे पर राजनीति करने लगे. असल जिंदगी में बाला साहेब एक कट्टर हिंदु नेता तो थे ही वो एक अच्छे इंसान भी थे. बॉलीवुड का कोई अभिनेता मुश्किल में फंसे या फिर किसी पॉलिटिकल पार्टी का नेता जो, भी उनके पास मदद मांगने जाता वो सबका दिल खोलकर मदद करते थे. मुंबई बम धमाके के बाद टाडा में फंसे संजय दत्त (Sanjay Dutt) को जेल से बाहर निकलवाने में बाल ठाकरे का बहुत बड़ा हाथ था. बोफोर्स घोटाले में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का नाम आने के बाद बाला साहेब उनके सपोर्ट में हमेशा खड़े रहे.