
कोरोना संकट ने हमें एक बार फिर अपने गांव और जीवन की परंपरागत ढंग के बारे में सोचने के लिए विवश कर दिया है. अर्थव्यवस्था के सामने आ खड़ी हुई नयी चुनौतियों से तत्काल निपटने की क्षमता यदि कहीं है, तो वह गांवों में ही है, क्योंकि व्यापार और उद्योग आधारित शहरी आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक श्रम शक्ति और नेटवर्क को पुनर्जीवित होने में वक्त लग सकता है. इस संकट काल में बढ़ती हुई शहरी बेरोजगारी भी एक विभिषिका के रूप में सामने आई है. इसका समाधान भी गांवों के ही पुनरुत्थान में ही है.
जब हम गांवों की बात करते हैं, तो इसका सीधा अर्थ होता है खेतों और किसानों की बात. जब गांवों को स्वावलंबी बनाने का सपना देख रहे होते हैं, तब किसानों को स्वावलंबी बनाने का ही सपना देख रहे होते हैं. यह सुखद है कि इस समय पूरा देश उन उपायों के बारे में सोच रहा है, जिससे गांवों को स्वावलंबी और किसानों को आत्मविश्वासी बनाया जा सके.
कोरोना संकट के दौर में छत्तीसगढ़ के गांवों को वैसी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा, जैसा कि बहुत से राज्यों में नजर आया. उलटे लाकडाउन की अवधि में यहां के गांवों ने कृषि के क्षेत्र में जो आर्थिक उपलब्धियां अर्जित कीं, उसकी सराहना रिजर्व बैंक ने भी की. असल में, यह राज्य द्वारा कोरोना संकट शुरू होने से बहुत पहले की जा रही तैयारियों का प�E0%A4%BF https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Findia%2Fnew-economic-revolution-coming-in-chhattisgarh-amid-coronavirus-outbreak-568535.html',900, 600)" title="Share on Whatsapp">