Narali Purnima 2021: आज है नारली पूर्णिमा! जानें महाराष्ट्र और कोंकण में मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व, पूजा-विधि एवं मूल अवधारणा!
नारियली पूर्णिमा 2021 (Photo Credits: File Image)

Narali Purnima 2021: नारली पूर्णिमा जैसा कि नाम से ही विदित है कि इस दिन नारियल को विशेष महत्व देते हुए इसकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है. नारली पूर्णिमा का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र एवं कोंकण मे पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाई जाती है. इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नारली (नारियल) पूर्णिमा 22 अगस्त 2021 को मनायी जायेगी. इसी दिन उत्तर भारत में भी एक बेहद महत्वपूर्ण पर्व रक्षाबंधन सेलीब्रेट किया जायगा. दक्षिण भारत में इस दिन को अवनि अविट्टम के नाम से मनाया जाता है.

नारली पूर्णिमा के इस पर्व पर विशेष रूप से समुद्र की पूजा की जाती है और प्रसाद के रूप में चावल, नारियल एवं फूल चढ़ाया जाता है. बाद में इसे ही प्रसाद के रूप में सबको वितरित कर दिया जाता है. यहां हम नारली पूर्णिमा के महत्व, पूजा विधि एवं इस अवसर पर किये जाने वाले अन्य कार्यक्रमों के बारे में बात करेंगे.

कब मनाते हैं नारली पूर्णिमा?

नारली पूर्णिमा श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष 22 अगस्त यानी आज के दिन यह पर्व पूरे महाराष्ट्र एवं कोंकण प्रदेश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. इस संदर्भ में 22 अगस्त को प्रातः 7 बजे से शाम 5.31 बजे तक नारली पूर्णिमा के विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा

कैसे मनाते हैं यह पर्व?

नारली पूर्णिमा के दिन समुद्र देवता द्वारा मानवहित में की जानेवाली हमारी विभिन्न तरीकों से सुरक्षा और पोषक तत्व प्रदान करने के बदले उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में एवं कोंकण के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है. इस दिन लोगबाग समुद्र में नारली (नारियल) चढ़ाते हैं. इस अवसर पर समुद्र किनारे रहने वाले मछुवारे अपनी सुरक्षा एवं कल्याण के लिए सूर्य देवता से प्रार्थना करते हैं, और प्रार्थना करते हैं कि आनेवाले वर्षों में हमें धन-धान्य से भरा एवं खुशहाल रखें. कहते हैं कि यह पूजा-अर्चना समुद्र में मछली पक़ड़ते समय किसी भी अप्रिय घटना से बचाने के लिए समुद्र देवता से प्रार्थना की जाती है.

नारली पूर्णिमा की मूल अवधारणा !

समुद्र के किनारे रहने वाले मछुवारे एवं उनके परिवार के लोग इस दिन नारियल का एक पेड़ बोते हैं और प्रकृति के प्रति अपना सम्मान एवं कृतज्ञता प्रकट करते हैं. इस पर्व को सेलीब्रेट करने का मुख्य मकसद यही होता है कि प्रकृति हमें जो भी प्रदान करती है, बदले में हम उसकी रक्षा करने का वादा करते हैं. जनहित के मुख्य उद्देश्य वाले इस नारली पूर्णिमा 2021 पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं....