मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में दमोह जिले के एक स्कूल के प्रिंसिपल, एक शिक्षक और एक चपरासी को जमानत दे दी, जहां कथित तौर पर सभी धर्मों की छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा था और छात्रों को इस्लामी प्रार्थनाएं सीखने के लिए मजबूर किया जा रहा था.
जमानत के लिए जज ने रखी शर्त
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पलियावाल ने जमानत की कई शर्तें भी लगाईं. उन्होंने कहा कि स्कूल के छात्रों, विशेष रूप से महिला छात्र जो मुस्लिम नहीं हैं, उन्हें हिजाब पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें अपने धर्म की आवश्यक चीजें पहनने से नहीं रोका जाना चाहिए. HC On Calling a Woman 'Gandi Aurat': किसी महिला को 'गंदी औरत' कहना धारा 509 के तहत अपराध? जाने कोर्ट ने क्या कहा
स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक अन्य धर्मों के छात्रों को अपने धर्म की आवश्यक चीजें जैसे पवित्र धागा (कलावा) पहनने और माथे पर तिलक लगाने से नहीं रोकेंगे. वे अन्य धर्मों के छात्रों को ऐसी किसी भी सामग्री या भाषा को पढ़ने या अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे जो मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित या अनुमोदित नहीं की गई है.
Non-Muslim students cannot be forced by school to wear hijab; should be allowed to wear sacred thread, tilak: Madhya Pradesh High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) August 31, 2023
वे अन्य धर्मों के छात्रों को कोई धार्मिक शिक्षा या इस्लाम धर्म से संबंधित सामग्री प्रदान नहीं करेंगे और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 53(1)(iii) में निहित केवल आधुनिक शिक्षा प्रदान करेंगे.
अन्य धर्मों (हिंदू, जैन आदि) की छात्राओं को स्कूल परिसर या कक्षा में कहीं भी सिर पर स्कार्फ (हिजाब) पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल पर लगे थे गंभीर आरोप
यह मामला एक शिकायत पर दर्ज किया गया था कि गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले मुस्लिम धर्म से संबंधित नहीं छात्रों को सलवार कुर्ती, सिर पर स्कार्फ (हिजाब) और दुपट्टा पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा था. आरोप था कि नर्सरी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर यह जबरदस्ती थोपी जा रही है. इसके अलावा, कहा गया कि स्कूल ने उर्दू को एक अनिवार्य विषय बना दिया है और आगे छात्रों को कथित तौर पर मुस्लिम आस्था से संबंधित प्रार्थनाएँ पढ़ने और सीखने के लिए मजबूर किया गया. अन्य धर्मों के छात्रों को अपने माथे पर तिलक लगाने या अपनी कलाई पर पवित्र धागे बांधने की अनुमति नहीं थी.
स्कूल में हिजाब पहनना अनिवार्य
स्कूल की छात्राओं ने भी जांच के दौरान बयान दिया कि स्कूल में हिजाब पहनना अनिवार्य है. इसलिए, प्रिंसिपल, एक शिक्षक, एक चपरासी और स्कूल के प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अपनी जमानत याचिका में प्रिंसिपल, शिक्षक और चपरासी ने अदालत से कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और अगर दोष होगा तो स्कूल प्रबंधन पर होगा.