सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय और अन्य द्वारा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के लिए मेयर का चुनाव कराने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई. आप नेता का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का जिक्र और इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की. यह भी पढ़ें: भारतीय नागरिक विदेश में भी PhonePe के जरिए कर सकेंगे UPI से ऑनलाइन पेमेंट, कंपनी जल्द शुरू करेगी इंटरनेशनल सेवा
पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह मामले को बुधवार को सूचीबद्ध करेगी.
दिल्ली नगर निगम सदन की बैठक मेयर का चुनाव कराए बिना सोमवार को तीसरी बार स्थगित किए जाने के बाद आप नेता आतिशी ने कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और उसकी देखरेख में एक सप्ताह से दस दिनों के भीतर चुनाव कराने की मांग करेगी.
उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी आज सुप्रीम कोर्ट जा रही है. हम शीर्ष अदालत से अपील करेंगे कि एमसीडी चुनाव एक सप्ताह से दस दिनों के भीतर उनकी देखरेख में हो. पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा ने मनमाने ढंग से सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया."
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम नेताओं को मतदान का अधिकार देने के भाजपा के फैसले को भी चुनौती देंगे। आप के पास 250 निर्वाचित सदस्यों में से 134 के साथ बहुमत है."
भाजपा और आप दोनों, महापौर का चुनाव स्थगित होने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. एल्डरमेन की नियुक्ति और सदन में उनके मतदान का अधिकार विवाद की जड़ है.
आप ने आरोप लगाया है कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार देकर उसे मिला जनादेश चुराने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली में मेयर का चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने के लिए शैली ओबेरॉय ने पहले शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन जब बताया गया कि चुनाव 6 फरवरी को होगा, तो उन्होंने याचिका वापस ले ली थी.
पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने नोट किया था कि चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी और किसी तरह की शिकायत होने पर फिर से मामला दायर करने की छूट दी थी.
मेयर का चुनाव पहले 6 जनवरी को होना था, लेकिन भाजपा और आप के पार्षदों के बीच हाथापाई के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया था. फिर 24 जनवरी को महापौर और उप महापौर व स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव करने के लिए सत्र बुलाया गया था, मगर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी.