हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की पहली तारीख (4 जून) से गंगा दशहरा का पर्व शुरू हो रहा है, जो ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की दशमी (12 जून) तक चलेगा. मान्यता है कि इसी दिन गंगा मां का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि गंगा जो विष्णु भगवान के चरणों में वास करती थीं, भगीरथ की तपस्या से भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में धारण किया था. हिंदू ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से स्नानार्थी के दस तरह के पाप धुल जाते हैं. विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि अगर किसी कारणवश गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में ही साफ पानी में गंगाजल और तुलसी का पत्ता मिलाकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करने से भी पर्याप्त पुण्य की प्राप्ति होती है.
गंगा दशहरा का महात्म्य
पद्म पुराण में गंगा दशहरा को बेहद पवित्र पर्व माना गया है. मान्यता है कि भगीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर अवतरित हुई थीं. उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी. गंगा माता के धरती पर अवतरण के कारण यह दिन गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाने लगा. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर गंगा स्तोत्र पढ़ता है वह सभी पापों से मुक्ति पाता है. इसके अलावा इस दिन दान करना भी बहुत ही शुभ होता है इस दिन दान करने वाली चीजों की संख्या पूजन सामग्री दस की संख्या में हो तो बहुत ही शुभ होता है.
कैसे कर गंगा पूजन
गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार विधि से पूजन-अर्चन करना चाहिए. पूजा के दौरान इस मंत्र ‘ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:’ का निरंतर जाप करते रहना चाहिए. गंगा दशहरा में सबसे ज्यादा महत्व 10 की संख्या का होता है. उदाहरण के लिए स्नान के बाद पूजा के लिए जिस भी वस्तु का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसकी संख्या 10 होनी चाहिए. आरती के लिए 10 दीपों का भी इस्तेमाल करना चाहिए. पूजन सम्पन्न होने के पश्चात दस ब्राह्मणों को दान करना चाहिए. गंगा दशहरा के दिन 10 ब्राह्मणों को 10 किलो तिल, 10 किलो गेहूं और 10 किलो जौ दान करना चाहिए. इसके अलावा इसी दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा भी दान किए जाने का विधान है.
क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं
पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि घनघोर पापों को नष्ट करने वाली मानी जाती है. हस्त नक्षत्र में गंगावतरण हुआ था, इसलिए हिंदू शास्त्रों में गंगा स्नाव का विशेष महत्व माना जाता है. प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की प्रथम तिथि से दशमी तिथि तक गंगा दशहरा मनाए जाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. स्कंद पुराण के अनुसार गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु को किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है. मान्यता है कि गंगा स्नान-दान करने पापों से मुक्ति मिल जाती है. ऐसी भी मान्यता है कि जप, तप, दान, व्रत, उपवास और गंगाजी की पूजा करने पर सभी पाप कट जाते है.
शुभ मुहूर्त :
दशमी तिथि शुरू होगी 11 जून मंगलवार 20:19 मिनट पर
दशमी तिथि समाप्त होगी 12 जून बुधवार 18:27 मिनट पर
हिंदू शास्त्रों में गंगाजल का बहुत अधिक महत्व रहा है. मान्यता है कि गंगाजल से घर में सुख शांति वास होता है. यदि घर में किसी पात्र में गंगाजल भरकर रखा जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता रहता है. साथ ही सुख एवं शांति का वास होता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जिस घर में वास्तुदोष हो तो प्रतिदिन पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है. विद्वानों के अनुसार गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करने से व्यक्ति विशेष को आर्थिक लाभ होता है.वह जीवन में निरंतर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ता है.