![Ganga Dashehra 2019: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर ऐसे कैसे करें पूजा-अर्चना, जानिए इसका महत्त्व Ganga Dashehra 2019: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर ऐसे कैसे करें पूजा-अर्चना, जानिए इसका महत्त्व](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2019/02/ganga-380x214.jpg)
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की पहली तारीख (4 जून) से गंगा दशहरा का पर्व शुरू हो रहा है, जो ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की दशमी (12 जून) तक चलेगा. मान्यता है कि इसी दिन गंगा मां का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि गंगा जो विष्णु भगवान के चरणों में वास करती थीं, भगीरथ की तपस्या से भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में धारण किया था. हिंदू ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से स्नानार्थी के दस तरह के पाप धुल जाते हैं. विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि अगर किसी कारणवश गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में ही साफ पानी में गंगाजल और तुलसी का पत्ता मिलाकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करने से भी पर्याप्त पुण्य की प्राप्ति होती है.
गंगा दशहरा का महात्म्य
पद्म पुराण में गंगा दशहरा को बेहद पवित्र पर्व माना गया है. मान्यता है कि भगीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर अवतरित हुई थीं. उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी. गंगा माता के धरती पर अवतरण के कारण यह दिन गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाने लगा. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर गंगा स्तोत्र पढ़ता है वह सभी पापों से मुक्ति पाता है. इसके अलावा इस दिन दान करना भी बहुत ही शुभ होता है इस दिन दान करने वाली चीजों की संख्या पूजन सामग्री दस की संख्या में हो तो बहुत ही शुभ होता है.
कैसे कर गंगा पूजन
गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार विधि से पूजन-अर्चन करना चाहिए. पूजा के दौरान इस मंत्र ‘ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:’ का निरंतर जाप करते रहना चाहिए. गंगा दशहरा में सबसे ज्यादा महत्व 10 की संख्या का होता है. उदाहरण के लिए स्नान के बाद पूजा के लिए जिस भी वस्तु का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसकी संख्या 10 होनी चाहिए. आरती के लिए 10 दीपों का भी इस्तेमाल करना चाहिए. पूजन सम्पन्न होने के पश्चात दस ब्राह्मणों को दान करना चाहिए. गंगा दशहरा के दिन 10 ब्राह्मणों को 10 किलो तिल, 10 किलो गेहूं और 10 किलो ज