Medicines Via Drones: देश में पहली बार ऋषिकेश AIIMS ने ड्रोन से भेजी दवा, देखिए VIDEO
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ऋषिकेश,16 फरवरी: आज एम्स ऋषिकेश ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. ऋषिकेश एम्स से आज टीबी के मरीजों के लिए ड्रोन से दवा भेजने का सफल ट्रायल किया है. ये ड्रोन ऋषिकेश से आधे घंटें में तीन किलो की दवाई का पार्सल टिहरी अस्पताल में लेकर पहुंचा. इसी के साथ ही ड्रोन से दवा भेजवे वाला ऋषिकेश देश का पहला एम्स बन गया है.

आज ऋषिकेश एम्स से ड्रोन के माध्यम से जिला अस्पताल बौराडी में टीबी की दवाई पहुंची. एम्स ऋषिकेश ने पहाड़ी इलाकों के दुर्गम क्षेत्रों में दवाई पहुंचाने के लिए नई तकनीक से सेवा देनी शुरू आज से शुरू कर दी है. ड्रोन कंपनी के माध्यम से दवाइयां मरीजों तक पहुंचाए जाने की योजना आज से शुरू हो गई है. Dehradun: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बिगड़ी तबीयत, देहरादून मैक्स अस्पताल में भर्ती

एम्स की प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह और ड्रोन कंपनी के अधिकारियों ने पहली ड्रोन सेवा से तीन किलो भार की दवाई का पैकेट नई टिहरी के लिए रवाना किया. इसका शुभारंभ एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह और ड्रोन कंपनी के अधिकारी गौरव कुमार ने किया. लगभग तीन किलो की दवाई का पार्सल ड्रोन के माध्यम से नई टिहरी के लिए रवाना किया गया.

मीनू सिंह ने बताया कि पहले ही एम्स पहाड़ के दुर्गम इलाकों में दवाई भेजने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग कर रहा है. लेकिन कई बार सड़क मार्ग से दवाइयां पहुंचाने में समय बहुत लगता है. इसलिए ड्रोन के माध्यम से समय को बचाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया है. पहले ट्रायल के तौर पर ड्रोन को पहाड़ के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया. ट्रायल सफल होने के बाद आज पहली बार नई टिहरी में दवाइयां ड्रोन के माध्यम से भेजी गई हैं.

मीनू सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने की दिशा में एम्स ऋषिकेश लगातार नए नए आयाम स्थापित कर रहा है. राज्य के किसी भी कोने में आसानी से दवाइयां पहुंचाई जा सकें, इसके प्रयास लगातार जारी हैं. ड्रोन टेक्निकल टीम के सदस्य गौरव कुमार ने बताया कि एक बार में ड्रोन 80 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. फिलहाल पहाड़ी इलाकों में मैक्सिमम 42 किलोमीटर की फ्लाइंग ड्रोन ने भरी है.

ये ड्रोन 3.5 किलो भार उठा सकता है. और एक बार में 100 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. वहीं ये ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक मोड़ पर चलता है. और इसमें सिर्फ रूट मैप फीड करने की जरूरत होती है. इसके अलावा पक्षियों से बचाव के लिए भी ड्रोन में सेंसर लगे हुए हैं.