नई दिल्ली: आज ही के दिन यानि 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात को 8:30 बजे 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान कर सबको चौंका दिया था. मोदी सरकार का यह कड़ा फैसला घोषणा के दिन आधी रात से ही लागू हो गई. जिससे 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अवैध हो गए थे. इससे कुछ दिन देश में अफरातफरी का माहौल रहा और बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं. बाद में 500 और 2000 के नये नोट जारी किए गए. आज जब नोटबंदी को दो साल पूरे हो गए हैं तो हम आपकों बताते है पीएम मोदी के इस फैसला का देश की अर्थव्यवस्था और जनता पर कैसा असर पड़ा है.
नकद लेनदेन में आई भारी कमी-
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने अध्ययन में कहा है कि नोटबंदी के बाद से लोगों की भुगतान आदतों में बड़ा बदलाव आया है. अर्थव्यवस्था नकद लेनदेन से कहीं आगे निकल चुकी है और डिजिटल भुगतान को अपना लिया है. उसके मुताबिक नोटबंदी के समय कार्ड, चेक और पीओएस से भुगतान का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब उससे भी तेज रफ्तार से चल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले चेक के लेनदेन में काफी कमी थी.
सीमा पर जाली नोटों की तस्करी घटी-
सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक केके शर्मा के मुताबिक नोटबंदी के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर जाली भारतीय नोटों की तस्करी के मामलों में काफी कमी आयी है. महानिदेशक शर्मा ने कहा कि जो नकली नोट पकड़े जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. उन्होंने कहा कि 2018 में अभी तक 11 लाख रुपये कीमत के जाली नोट जब्त किये गये हैं, जबकि नोटबंदी से पहले जब्त किये जाने वाले जाली नोटों की कीमत करोड़ों रुपये में होती थी. भारत-बांग्लादेश के बीच करीब 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है.
नक्सलियों की गिरफ्तारी और समर्पण में 55% का इजाफा-
बीजेपी के थिंकटैंक के अध्ययन के मुताबिक मोदी सरकार के नोटबंदी के कठोर फैसले ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कमर तोड़ दी और शहरी नक्सलियों को बेनकाब कर दिया. पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर (पीपीआरसी) ने अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया कि 2015 की तुलना में नोटबंदी के बाद नक्सलियों की गिरफ्तारी और समर्पण में 55 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
कारोबार पर बुरा असर पड़ा-
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने एक अध्ययन में माना है कि नोटबंदी के कारण छोटे और मध्यम उद्यम पर बुरा असर पड़ा है. आरबीआई के अध्ययन के मुताबिक कपड़े, रत्न और आभूषण के क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को नोटबंदी के बाद भुगतान के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ा.
पकड़ी गई सबसे ज्यादा नकली करेंसी-
एक रिपोर्ट में मुताबिक, नोटबंदी के बाद देश के बैंकों ने अब तक की सबसे ज्यादा नकली करेंसी पकड़ी है. जाली करेंसी के लेनदेन में पिछले साल की तुलना में 2016-17 के दौरान 3.22 लाख मामले अधिक सामने आए हैं. यही नहीं प्राइवेट, सरकारी और कोऑपरेटिव क्षेत्रों सहित सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने संयुक्त रूप से 2016-17 के दौरान कम से कम 400 फीसदी ज्यादा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट दर्ज की है.
कालाधन रखनेवालों पर पड़ा प्रहार-
आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद खाते में 25 लाख रुपये से अधिक जमा कराने वाले 1.16 लाख लोगों को नोटिस भेजा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन के मुताबिक इन लोगों ने अभी तक अपना रिटर्न जमा नहीं कराया था. ऐसे लोगों और कंपनियों को 30 दिन के भीतर अपना आयकर रिटर्न जमा कराने को कहा गया. उन्होंने कहा था कि 2.4 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने बैंक खातों में 10 से 25 लाख रुपये जमा कराए हैं.
प्रभावित हुआ देश का निर्यात-
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर का मानना है कि जीएसटी-नोटबंदी की वजह से भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है. उनका कहना है कि देश का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की दर से बढ़कर 302.8 अरब डॉलर रहा, जबकि अनुमान था कि यह 325 अरब डॉलर तक पहुंचेगा. अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे मुख्य बाजारों समेत वैश्विक मांग में सुधार के बाद भी 2017-18 में देश का निर्यात प्रभावित होकर उम्मीद से कम रहा.
15,310.73 अरब रुपये नष्ट हुए-
नोटबंदी के बाद बैंकों में वापस आए अमान्य नोटों के कुल 15,310.73 अरब रुपये को नष्ट कर दिया गया है. इस बात की जानकारी आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में दी है. हालांकि, आरबीआई ने यह नहीं बताया कि इन नोटों को नष्ट करने में कितना रुपया खर्च हुआ.
नेताओं ने बदले सबसे ज्यादा पुराने नोट-
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत बताया खुलासा हुआ है कि नोटबंदी के दौरान देश के 10 केंद्रीय सहकारी तिकल चुकी है और डिजिटल भुगतान को अपना लिया है. उसके मुताबिक नोटबंदी के समय कार्ड, चेक और पीओएस से भुगतान का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब उससे भी तेज रफ्तार से चल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले चेक के लेनदेन में काफी कमी थी.
सीमा पर जाली नोटों की तस्करी घटी-
सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक केके शर्मा के मुताबिक नोटबंदी के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर जाली भारतीय नोटों की तस्करी के मामलों में काफी कमी आयी है. महानिदेशक शर्मा ने कहा कि जो नकली नोट पकड़े जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. उन्होंने कहा कि 2018 में अभी तक 11 लाख रुपये कीमत के जाली नोट जब्त किये गये हैं, जबकि नोटबंदी से पहले जब्त किये जाने वाले जाली नोटों की कीमत करोड़ों रुपये में होती थी. भारत-बांग्लादेश के बीच करीब 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है.
नक्सलियों की गिरफ्तारी और समर्पण में 55% का इजाफा-
बीजेपी के थिंकटैंक के अध्ययन के मुताबिक मोदी सरकार के नोटबंदी के कठोर फैसले ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कमर तोड़ दी और शहरी नक्सलियों को बेनकाब कर दिया. पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर (पीपीआरसी) ने अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया कि 2015 की तुलना में नोटबंदी के बाद नक्सलियों की गिरफ्तारी और समर्पण में 55 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
कारोबार पर बुरा असर पड़ा-
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने एक अध्ययन में माना है कि नोटबंदी के कारण छोटे और मध्यम उद्यम पर बुरा असर पड़ा है. आरबीआई के अध्ययन के मुताबिक कपड़े, रत्न और आभूषण के क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को नोटबंदी के बाद भुगतान के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ा.
पकड़ी गई सबसे ज्यादा नकली करेंसी-
एक रिपोर्ट में मुताबिक, नोटबंदी के बाद देश के बैंकों ने अब तक की सबसे ज्यादा नकली करेंसी पकड़ी है. जाली करेंसी के लेनदेन में पिछले साल की तुलना में 2016-17 के दौरान 3.22 लाख मामले अधिक सामने आए हैं. यही नहीं प्राइवेट, सरकारी और कोऑपरेटिव क्षेत्रों सहित सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने संयुक्त रूप से 2016-17 के दौरान कम से कम 400 फीसदी ज्यादा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट दर्ज की है.
कालाधन रखनेवालों पर पड़ा प्रहार-
आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद खाते में 25 लाख रुपये से अधिक जमा कराने वाले 1.16 लाख लोगों को नोटिस भेजा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन के मुताबिक इन लोगों ने अभी तक अपना रिटर्न जमा नहीं कराया था. ऐसे लोगों और कंपनियों को 30 दिन के भीतर अपना आयकर रिटर्न जमा कराने को कहा गया. उन्होंने कहा था कि 2.4 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने बैंक खातों में 10 से 25 लाख रुपये जमा कराए हैं.
प्रभावित हुआ देश का निर्यात-
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर का मानना है कि जीएसटी-नोटबंदी की वजह से भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है. उनका कहना है कि देश का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की दर से बढ़कर 302.8 अरब डॉलर रहा, जबकि अनुमान था कि यह 325 अरब डॉलर तक पहुंचेगा. अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे मुख्य बाजारों समेत वैश्विक मांग में सुधार के बाद भी 2017-18 में देश का निर्यात प्रभावित होकर उम्मीद से कम रहा.
15,310.73 अरब रुपये नष्ट हुए-
नोटबंदी के बाद बैंकों में वापस आए अमान्य नोटों के कुल 15,310.73 अरब रुपये को नष्ट कर दिया गया है. इस बात की जानकारी आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में दी है. हालांकि, आरबीआई ने यह नहीं बताया कि इन नोटों को नष्ट करने में कितना रुपया खर्च हुआ.
नेताओं ने बदले सबसे ज्यादा पुराने नोट-
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत बताया खुलासा हुआ है कि नोटबंदी के दौरान देश के 10 केंद्रीय सहकारी बैंकों में सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों के नेताओं के नोट बदले गए. इसमें बीजेपी से लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से लेकर शिवसेना तक के नेता शामिल हैं. देश में 370 सहकारी बैंकों ने 10 नवंबर से 31 दिसंबर, 2016 तक 500 और 1000 रुपये के 22,270 करोड़ रुपये के पुराने नोटों का आदान-प्रदान किया, जिनमें 4,191.39 करोड़ रुपये इन 10 बैंकों में बदले गए.
टैक्स कलेक्शन में भारी बढोत्तरी-
वित्त वर्ष 2017-18 में कुल आयकर रिटर्न बढ़ने वालों की संख्या 71% बढ़कर 5.42 करोड़ हो गई. जबकि अगस्त 2018 तक दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या 5.42 करोड़ है जो 31 अगस्त 2017 में महज 3.17 करोड़ थी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में टैक्स कलेक्शन ने रिकॉर्ड बनाया और 10.03 करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच गया.