मोदी सरकार देश में बदल रही गाड़ी चलाने का एक्सपीरियंस, फ्लेक्स-ईंधन इंजन होगा अनिवार्य, 100% बायो-एथेनॉल से दौड़ेगी कार
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: आने वाले समय में देश की सड़कों पर 100 फीसदी बायो-एथेनॉल (Bio-Ethanol) और फ्लेक्स-ईंधन इंजन (Flex-Fuel Engines) वाली गाड़ियां दौड़ती दिखेंगी. दरअसल मोदी सरकार ने तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत केंद्र सरकार कार निर्माताओं को ऐसे इंजन बनाने के लिए कहेगी, जो 100% बायो-एथेनॉल पर चल सकें. भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य की समय-सीमा घटा कर 2025 की: पीएम मोदी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि वह अगले दो-तीन दिन में कार कंपनियों के लिए अनिवार्य रूप से फ्लेक्स-ईंधन इंजन लाने का आदेश जारी करेंगे. फ्लेक्स-ईंधन इंजन में एक से अधिक ईंधनों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

गडकरी ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हर साल आठ लाख करोड़ रुपये के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करता है. यदि भारत की पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता बनी रहती है, तो अगले पांच साल में आयात बिल बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोलियम आयात को कम करने के लिए मैं अगले दो-तीन दिन में एक आदेश पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं. इसके तहत कार विनिर्माताओं के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन लाना अनिवार्य होगा.’’

गडकरी ने बताया कि टोयोटो मोटर कॉरपोरेशन, सुजुकी और हुंदै मोटर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों ने अपने वाहनों में फ्लेक्स-ईंधन इंजन पेश करने का आश्वासन दिया है.

उल्लेखनीय है कि देश तेजी से ए-20 या 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल ईंधन की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिसे 2023 तक देशभर में 2025 तक लागू किया जा सकता है. सरकार के आदेश के बाद ऑटो कंपनिया यात्री और वाणिज्यिक वाहनों के निर्माण में फ्लेक्स इंजनों का इस्तेमाल करने की योजना बनायेंगी.

सरकार पहले से वाहनों में फ्लेक्स इंजन के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना पर काम कर रही है. लचीले ईंधन वाहनों (एफएफवी) एफएफवी वाहनों का एक संशोधित संस्करण है जो इथेनॉल मिश्रणों के विभिन्न स्तरों के साथ गैसोलीन और डोप्ड पेट्रोल दोनों पर चल सकता है. ये वर्तमान में ब्राजील में सफलतापूर्वक उपयोग किए जा रहे हैं, जिससे लोगों को कीमत और सुविधा के आधार पर ईंधन (गैसोलीन और इथेनॉल) स्विच करने का विकल्प मिल रहा है. वास्तव में, ब्राजील में बेचे जाने वाले अधिकांश वाहन एफएफवी हैं.

भारत के लिए, एफएफवी एक अलग लाभ पेश करेंगे, क्योंकि वे वाहनों को देश के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के विभिन्न मिश्रणों का उपयोग करने की अनुमति देंगे. मौजूदा नियम पेट्रोल में 10 फीसदी तक एथेनॉल मिलाने की इजाजत देते हैं. हालांकि, कम आपूर्ति और परिवहन चुनौतियों के कारण, 10 प्रतिशत मिश्रित पेट्रोल केवल 15 राज्यों में उपलब्ध है, जबकि अन्य राज्यों में जैव-ईंधन 0 से 5 प्रतिशत के बीच है. एफएफवी वाहनों को सभी मिश्रणों का उपयोग करने और बिना मिश्रित ईंधन पर चलने की अनुमति देगा.