जरुरी जानकारी | भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य की समय-सीमा घटा कर 2025 की : मोदी

नयी दिल्ली, पांच जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा पांच साल कम कर 2025 कर दी गयी है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक पूरा किया जाना था।

गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को अलग आमदनी कमाने का एक जरिया भी मिलता है।

प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक समारोह में भारत में वर्ष 2020-2025 के दौरान एथेनॉल सम्मिश्रण से संबंधित योजना पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी करने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को वर्ष 2030 से पहले खिसका कर वर्ष 2025 किया गया है।

पिछले वर्ष सरकार ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत तथा वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल का सम्मिश्रण करने का लक्ष्य तय किया था।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में, पेट्रोल के साथलगभग 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता है, जबकि वर्ष 2014 में इस सम्मिश्रण का स्तर 1-1.5 प्रतिशत ही था। उन्होंने कहा कि अधिक एथनाम सम्मिश्रण से एथेनॉल की खरीद सालाना 38 करोड़ लीटर से बढ़कर अब 320 करोड़ लीटर हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘' जब 20 प्रतिशत सम्मिश्रण होने लगेगा तो एथेनॉल खरीद की मात्रा और बढ़ जाएगी।'’

पिछले साल तेल कंपनियों ने एथेनॉल खरीद पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में, तेल मंत्रालय ने एक अप्रैल, 2023 से पेट्रोल में एथेनॉल के 20 प्रतिशत तक का सम्मिश्रण को शुरू करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की थी। देश में बेचे जाने वाले सभी पेट्रोल में वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है।

मोदी ने कहा कि एथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि यह किसानों को आय का एक और स्रोत उपलब्ध कराता है।

उन्होंने कहा कि एथेनॉल खरीद में इस आठ गुना वृद्धि के एक बड़े हिस्से से देश के गन्ना किसानों को फायदा मिला है।

अपने भाषण से पहले, प्रधान मंत्री ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछ किसानों से उनकी आय में वृद्धि करने वाले एथेनॉल संयंत्रों के बारे में उनके अनुभव के बारे में जानने के लिए बातचीत की। उन्होंने किसानों से इस बात की जानकारी ली इन एथेनॉल संयंत्रों से उनकी आय पर क्या प्रभाव आया, खाना पकाने और वाहनों के संचालन में उपयोग किये जा सकने वाले बायोगैस बनाने के लिए गोबर के उपयोग तथा जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल के बारे में उनके अनुभवों की जानकारी ली गई।

मोदी ने कहा, ‘‘एथेनॉल निर्माण इकाइयां पहले केवल 4-5 गन्ना उत्पादक राज्यों तक सीमित थीं, लेकिन अब इसका पूरे देश में विस्तार करने के लिए खाद्यान्न आधारित भट्टियां स्थापित की जा रही हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु न्याय का प्रबल समर्थक है और एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड और आपदा रोधी अवसंरचना पहल के लिए गठबंधन के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना जैसे विचारों के साथ आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की रक्षा के लिए भारत के प्रयासों को सूचीबद्ध किया। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 250 प्रतिशत तक बढ़ायी जा चुकी है और इस मामले में भारत अब सबसे बड़ी स्थापित क्षमता वाले शीर्ष पांच देशों में से एक है। पिछले 6 वर्षों में सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 15 गुना बढ़ी है, लोगों को 37 करोड़ एलईडी बल्ब और 23 लाख से अधिक कम बिजली खपत वाले पंखे दिये गये हैं, घरेलू प्रदूषण को कम करने के लिए मुफ्त बिजली और रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किये गये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण को कम करने के अलावा, इसने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने में भी काफी मदद की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विकास को रोकने की जरूरत नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों में वनों के आवरण में भी 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, बाघों की आबादी दोगुनी हो गई है और तेंदुओं की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मिथक है कि वायु प्रदूषण केवल उद्योगों के कारण होता है। परिवहन वाहन, अशुद्ध ईंधन, डीजल जनरेटर भी वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि रसोई के ईंधन के रूप में एलपीजी के उपयोग और रोशनी के लिए बिजली ने जलाऊ लकड़ी और किरासन तेल के उपयोग से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोका है।

उन्होंने कहा कि जलमार्गों का उपयोग, मेट्रो और उपनगरीय रेलवे का विस्तार, रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण और सौर ऊर्जा द्वारा संचालित हवाईअड्डे अन्य पहल हैं।

उन्होंने कहा, भारत अब जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव के प्रस्तावकों में शामिल है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्यों की दिशा में कार्य प्रदर्शन के सूचकांक के शीर्ष 10 देशों में शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उन चुनौतियों से अवगत हैं जो जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही हैं और इससे निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विकास कार्यों को अवरुद्ध करना आवश्यक नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी हमराही हो सकते हैं। यही वह रास्ता है जिसे भारत ने चुना है।’’

प्रधान मंत्री ने बताया कि गुजरात के केवड़िया को केवल विद्युत वाहनों वाला शहर बनानेकी योजना है। इसी शहर में विशाल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा) स्थापित की गई है। वहां इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि भविष्य में केवड़िया में केवल बैटरी आधारित बसें, दोपहिया, चार पहिया वाहन ही चले।

मोदी ने कहा कि सरकार ने 11 क्षेत्रों की पहचान की है जो आधुनिक तकनीक के माध्यम से संसाधनों का पुनर्चक्रण करके उनका अच्छा उपयोग कर सकते हैं।

उन्होंने पुणे में तीन स्थानों पर ई-100 (100 प्रतिशत एथेनॉल) वितरण स्टेशनों की एक प्रायोगिक परियोजना भी शुरू की।

यह उपभोक्ताओं को मूल्य लाभ के साथ ईंधन का एक और विकल्प प्रदान करेगा क्योंकि सरकार ने एथेनॉल को निचले जीएसटी स्लैब के तहत रखा है।

वर्तमान एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में भारत की योजना गैसोलीन के साथ 10 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रण करने की है। इसके लिए 4 अरब लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी।

वर्ष 2023 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण स्तर हासिल करने के लिए 10 अरब (1,000 करोड़) लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी।

चीनी उद्योग 60 लाख टन अधिशेष चीनी को आवश्यक सात अरब लीटर एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए देगा, जबकि शेष एथेनॉल का उत्पादन अतिरिक्त अनाज से किया जाएगा।

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