![इलाहाबाद HC ने समलैंगिक युवकों को सुरक्षा देने से किया मना, कहा- यह एक सामाजिक समस्या है इलाहाबाद HC ने समलैंगिक युवकों को सुरक्षा देने से किया मना, कहा- यह एक सामाजिक समस्या है](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2018/09/girlfriends-338449_960_720-784x441-380x214.jpg)
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटायें जाने के बावजूद आज भी हमारा समाज ऐसे लोगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है जहां समलैंगिक युवकों का जोड़ा पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट की शरण में पहुंचा. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो समलैंगिक युवकों की याचिका को खारिज करते हुए सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामलें की सुनवाई करते हुए कहा कि समलैंगिक संबंधों का विरोध सामाजिक समस्या है. कोर्ट इस तरह के मामलों में दखल नहीं दे सकता. कोर्ट ने कहा कि कानूनी बाध्यता हटने के बाद भी अगर इस तरह के संबंधों का विरोध किया जा रहा है तो यह एक सामाजिक समस्या है और इस बारे में समाज को ही तय करना होगा.
शामली के दो युवक गुलफाम मलिक व मुनव्वर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अर्जी में युवकों ने समलैंगिक होने की बात कबूल करते हुए कहा था कि उनके परिवार वाले उन्हें लगातार धमकियां दे रहे हैं. इसमें कहा गया कि हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं व एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं. दोनों युवक एक समान उम्र के हैं.
यह भी पढ़े- जब बिंदी लगाए और दुपट्टा ओढ़े दिखे गौतम गंभीर, वजह जानकर सबने की तारीफ
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. इसके साथ ही न्यायालय ने धारा 377 को 'स्पष्ट रूप से मनमाना' करार देते हुए असंवैधानिक करार दिया. समलैंगिक समुदाय से ताल्लुक रखने वालो की मानें तो समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाने को लेकर अभी भी एक बड़ी लड़ाई लड़ना बाकी है.
पीठ ने कहा कि एलजीबीटीआईक्यू (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर/ट्रांससेक्सुअल, इंटरसेक्स और क्वीर/क्वेशचनिंग) समुदाय के दो लोगों के बीच निजी रूप से सहमति से सेक्स अब अपराध नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना सहमति के सेक्स और पशुओं के साथ सेक्स धारा 377 के अंतर्गत अपराध बना रहेगा.