नई दिल्लीः आधार को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध करार देने के बाद मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया फिर से शुरू किया जा सकता है. मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना कि यह काम फरवरी 2015 में शुरू किया गया था. लेकिन आधार के वैधता को लेकर मामला कोर्ट में जाने के बाद इस काम को बीच में रोक दिया गया था. लेकिन आधार मामले में अदालत का फैसला आने के बाद इस पर अध्ययन करने के बाद इसे फिर से शुरू किया जाने वाला है.
वहीं इस दौरान उन्होंने मिडिया से बात करते हुए कहा कि उस दौरान करीब 33 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके है. बाकी बचे हुए लोगों को आधार से जोड़ने काम शुरू होता है तो जल्द से जल्द जोड़ दिया जाएगा. यह भी पढ़े: राहुल गांधी का पीएम पर बड़ा हमला, कहा- मोदी सरकार में आम आदमी कतार में, क्रोनी कैपिटलिस्ट का कालाधन सफेद
वहीं अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के बारे में मीडिया ने रावत से सवाल किया. इस पर उनका जवाब था कि इस मामलें में अध्ययन करने के बाद कोई ठोस फैसला लिया जाएगा. हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव लड़ने वाले अपराधियों के बारे में आदेश दिया है कि वे अपने द्वारा अपराधों से जुडी जानकारी को आम जनता तक अख़बार या फिर दूसरे माध्यम से पहुंचाने के लिए कहा है. यह भी पढ़े: विवेक तिवारी हत्याकांड: CM योगी से मिलीं कल्पना तिवारी, कहा- ‘सरकार पर भरोसा बढ़ा है’
बता दें कि आधार को वैध करार देते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत (Supreme Court) ने पिछले हफ्ते ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह साफ़ कर दिया था कि इसे हर किसी से लिंक करना जरूरी नहीं है. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद कई योजनाओं और सेवाओं में आधार की अनिवार्यता समाप्त हो गई है. हालांकि अदालत ने अब भी कई कामों के लिए इसकी अनिवार्यता को बरकरार रखा है.