Yash Raj Films: यश चोपड़ा यूनिट के कलाकार से लेकर स्पॉटबॉय सभी 5 स्टार होटल में रुकते थे: पूर्व एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर
यश चोपड़ा (Photo Credits: Instagram)

Yash Raj Films: महेन वकील के बारे में शायद अधिक लोगों को पता नहीं होगा, लेकिन उनका डर (1993), दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997) और मोहब्बतें (2000) जैसी फिल्मों में बड़ा योगदान है. वह अब उम्र के 80 दशक में प्रवेश कर चुके हैं और सेवानिवृत्त हो चुके हैं. आपको बता दें कि महेन वकील यश राज फिल्म्स (वाईआरएफ) के एक पूर्व कार्यकारी निर्माता हैं, जिन्होंने 1993 और 2000 के दशक के शुरुआती दौर में बैनर की कुछ सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में दिवंगत फिल्म निर्माता यश चोपड़ा के साथ काम किया था.

यश चोपड़ा ने जब अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था, तब महेन वकील वाईआरएफ (YRF) के पहले कर्मचारी बने थे. गौरतलब है कि बैनर अपना पहला स्वर्ण जयंती मना रहा है.

उन्होंने क्रिएटिव कलाकार के रूप में चोपड़ा के जुनून को याद करते हुए कहा, "उन्होंने कभी अपने काम से समझौता नहीं किया. जब वह किसी कलाकार को एक ²श्य समझाते थे, तो वह इतना सम्मिलित हो जाते थे कि आपको लगता था कि यश जी ही इस ²श्य को करें. कलाकारों के लिए उनकी ब्रीफिंग बहुत स्पष्ट होती थी."

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महेन वकील ने कहा, "इन दिनों की प्रेम कहानियां यश चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्मों की तुलना में बहुत अलग हैं. उनकी प्रेम कहानियां अद्वितीय हैं."

वकील ने बताया कि चोपड़ा ने महंगी फिल्में बनाईं और वह प्रौद्योगिकी के सर्वोत्तम उपयोग में विश्वास करते थे. उन्होंने कहा कि वह समझौता करने में विश्वास नहीं करते थे.

उन्होंने कहा, "जो फिल्म साल 1965 में बनाई गई थी, अगर आज भी आप इसे पीछे मुड़कर देखते हैं, तो उनके सेट के डिजाइन, वेशभूषा बेहतरीन हैं. उनके लिए, फिल्म बनाने की प्रक्रिया बेहद शुद्ध थी. कर्मचारियों के रूप में, हमें वह करने का अधिकार दिया गया जो हम चाहते थे, क्योंकि उन्होंने हम पर भरोसा किया. जिस तरह की फिल्म वह बनाना चाहते थे, उन्होंने उसके लिए किसी पैमाने को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी."

सेट पर यश चोपड़ा के बारे में बात करते हुए महेन वकील ने कहा, "यशजी जिंदादिल इंसान थे. वह सभी को समान मानते थे. वह शिफ्ट के समय से डेढ़ घंटे पहले सेट पर होते थे और गेट के पास हाथ जोड़कर खड़ा होते थे और ध्यान देते थे कि सभी किस समय सेट पर प्रवेश कर रहे हैं. बॉस के सेट पर प्रवेश करने के बाद जाना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए हम सभी उनके समय से पहले वहां पहुंचने का प्रयास करते थे. क्या आज के सेट पर ऐसा माहौल कभी देख पाएंगे?"

उन्होंने यश चोपड़ा को एक दयालु व्यक्ति के रूप में वर्णित किया और कहा, "वह अपने कर्मचारियों के बहुत करीब थे और इसी वजह से उनके पास स्वस्थ वातावरण रहता था. यही कारण है कि उनके कर्मचारियों ने उनके लिए कई वर्षों तक काम किया."

महेन वकील ने चोपड़ा के भोजन के प्रति प्रेम के बारे में भी बताया. वकील ने कहा, "जब भी शूटिंग का समय तय घंटों से आगे बढ़ता था, सभी के लिए भोजन का आयोजन किया जाता था. यशजी को खाने से बेहद प्यार था. एक बार मैंनहले कर्मचारी बने थे. गौरतलब है कि बैनर अपना पहला स्वर्ण जयंती मना रहा है.

उन्होंने क्रिएटिव कलाकार के रूप में चोपड़ा के जुनून को याद करते हुए कहा, "उन्होंने कभी अपने काम से समझौता नहीं किया. जब वह किसी कलाकार को एक ²श्य समझाते थे, तो वह इतना सम्मिलित हो जाते थे कि आपको लगता था कि यश जी ही इस ²श्य को करें. कलाकारों के लिए उनकी ब्रीफिंग बहुत स्पष्ट होती थी."

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महेन वकील ने कहा, "इन दिनों की प्रेम कहानियां यश चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्मों की तुलना में बहुत अलग हैं. उनकी प्रेम कहानियां अद्वितीय हैं."

वकील ने बताया कि चोपड़ा ने महंगी फिल्में बनाईं और वह प्रौद्योगिकी के सर्वोत्तम उपयोग में विश्वास करते थे. उन्होंने कहा कि वह समझौता करने में विश्वास नहीं करते थे.

उन्होंने कहा, "जो फिल्म साल 1965 में बनाई गई थी, अगर आज भी आप इसे पीछे मुड़कर देखते हैं, तो उनके सेट के डिजाइन, वेशभूषा बेहतरीन हैं. उनके लिए, फिल्म बनाने की प्रक्रिया बेहद शुद्ध थी. कर्मचारियों के रूप में, हमें वह करने का अधिकार दिया गया जो हम चाहते थे, क्योंकि उन्होंने हम पर भरोसा किया. जिस तरह की फिल्म वह बनाना चाहते थे, उन्होंने उसके लिए किसी पैमाने को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी."

सेट पर यश चोपड़ा के बारे में बात करते हुए महेन वकील ने कहा, "यशजी जिंदादिल इंसान थे. वह सभी को समान मानते थे. वह शिफ्ट के समय से डेढ़ घंटे पहले सेट पर होते थे और गेट के पास हाथ जोड़कर खड़ा होते थे और ध्यान देते थे कि सभी किस समय सेट पर प्रवेश कर रहे हैं. बॉस के सेट पर प्रवेश करने के बाद जाना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए हम सभी उनके समय से पहले वहां पहुंचने का प्रयास करते थे. क्या आज के सेट पर ऐसा माहौल कभी देख पाएंगे?"

उन्होंने यश चोपड़ा को एक दयालु व्यक्ति के रूप में वर्णित किया और कहा, "वह अपने कर्मचारियों के बहुत करीब थे और इसी वजह से उनके पास स्वस्थ वातावरण रहता था. यही कारण है कि उनके कर्मचारियों ने उनके लिए कई वर्षों तक काम किया."

महेन वकील ने चोपड़ा के भोजन के प्रति प्रेम के बारे में भी बताया. वकील ने कहा, "जब भी शूटिंग का समय तय घंटों से आगे बढ़ता था, सभी के लिए भोजन का आयोजन किया जाता था. यशजी को खाने से बेहद प्यार था. एक बार मैंने उन्हें चेंबूर के एक पराठेवाले के बारे में बताया, जो शानदार पराठे बनाता था. उन्होंने उसे तंदूर और अन्य उपकरणों के साथ सेट पर बुलाया और सभी के लिए पराठे बनाने के लिए कहा गया. यशजी को दूसरों को खिलाने में बहुत खुशी मिलती थी."

उन्होंने आगे कहा, "जब भी कोई आउटडोर शूट होता, स्पॉटबॉय से लेकर एक्टर्स तक की पूरी यूनिट उसी होटल में ठहरती, जो प्रीमियम फाइव-स्टार होता था. क्या कोई इस पीढ़ी का निर्देशक ऐसा करेगा? सुबह का नाश्ता पांच किस्म का बुफे होता था, वह भी अलग-अलग तरह का. बाहर जाने पर तीन रसोइए अपने सहायक के साथ मुंबई से यात्रा करते थे."

वकील ने यश चोपड़ा का प्रतिष्ठित कवि-गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ साझा किए गए विशेष बंधन के बारे में भी बताया.

महेन वकील ने कहा, "साहिर लुधियानवी तब एक बड़े लेखक थे और किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि वे उन्हें सुधारें या उनसे अपना लिखा बदलने को कहें. लेकिन जिस तरह यशजी को कविता का ज्ञान था, वहीं एक ऐसे व्यक्ति थे जो उनसे कुछ पंक्तियों को बदलने के लिए मना सकते थे."