![Budget 2025: 1 फरवरी को शनिवार के दिन क्या खुला रहेगा शेयर बाजार? बजट वाले दिन BSE, NSE पर होगी ट्रेडिंग? Budget 2025: 1 फरवरी को शनिवार के दिन क्या खुला रहेगा शेयर बाजार? बजट वाले दिन BSE, NSE पर होगी ट्रेडिंग?](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2024/12/Stock-Market-Holidays-in-2025-1-380x214.jpg)
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार 1 फरवरी 2025 को वित्तवर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं. वीकेंड होने के कारण निवेशकों के मन में एक सवाल उठ रहा है, क्या उस दिन शेयर बाजार खुले रहेंगे या बंद रहेंगे?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) द्वारा 23 दिसंबर 2024 को जारी सर्कुलर के अनुसार, कैपिटल मार्केट सेगमेंट में लाइव ट्रेडिंग सत्र के लिए शेयर बाजार खुले रहेंगे.
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1 फरवरी 2025 को ट्रेडिंग का समय क्या है?
इक्विटी मार्केट (Equity Markets) : ट्रेडिंग नियमित समय के दौरान होगी और दोपहर 3:30 बजे तक चलेगी.
कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट (Commodity Derivatives Market) : ट्रेडिंग थोड़ी देर तक चलेगी और शाम 5 बजे तक चलेगी.
पहले भी वीकेंड पर पेश हुआ है बजट
आमतौर पर बजट कामकाजी दिनों में ही पेश किया जाता है, हालांकि कई बार आम बजट वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को भी पेश किया गया है.
28 फरवरी 2015: बजट शनिवार को पेश किया गया था. उस दिन भी एनएसई (NSE) और बीएसई (BSE) में रोज की तरह ही सामान्य कारोबार हुआ था.
27 फरवरी 2016: बजट फिर शनिवार को पेश किया गया था, लेकिन शेयर बाजार उस दिन बंद रहे थे.
इससे यह समझ में आता है कि, वीकेंड्स बजट के लिए शनिवार को शेयर बाजार खोलना या ना खोलना मामले दर मामले के आधार पर तथा नियामक के आदेश पर निर्भर करता है.
बजट की तारीख बदली
पहले केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम सप्ताह में पेश किया जाता था, लेकिन वर्ष 2017 में यह व्यवस्था बदल दी गई, जहां तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 1 फरवरी को आम बजट पेश किया था. इससे पीछे यह तर्क है कि नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल की शुरुआत से बजट के वित्तीय उपायों को लागू करने के लिए सरकार को अधिक समय मिल सकेगा.
बजट के दिन क्यों खुलता है शेयर बाजार?
बजट के दिन बाज़ारों का खुला रहना इन घोषणाओं के अर्थव्यवस्था और निवेशकों की भावनाओं पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव के कारण हो सकता है. व्यापारी और निवेशक बजट पर बारीकी से नज़र रखते हैं ताकि नीतियों की दिशा का पता लग सके जो सेक्टर आवंटन और बाज़ार के रुझान के साथ-साथ कर सुधारों को भी प्रभावित करती हैं.