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जो खुद को आधुनिक कहते हैं, वे ही प्रकृति के दुश्मन बने हुए हैं: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा कि आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी �
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    जो खुद को आधुनिक कहते हैं, वे ही प्रकृति के दुश्मन बने हुए हैं: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा कि आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी है, एक सोच वह है जिसमें हमारे आदिम मूल्य आज भी कायम हैं जबकि दूसरी सोच वह है जो खुद को आधुनिक कहती है, लेकिन वह प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है.

    एजेंसी न्यूज Bhasha|
    जो खुद को आधुनिक कहते हैं, वे ही प्रकृति के दुश्मन बने हुए हैं: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
    CM Bhupesh Baghel (Photo Credit : Twitter)

    रायपुर, 1 नवंबर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा कि आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी है, एक सोच वह है जिसमें हमारे आदिम मूल्य आज भी कायम हैं जबकि दूसरी सोच वह है जो खुद को आधुनिक कहती है, लेकिन वह प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है. बघेल ने यहां के शासकीय विज्ञान महाविद्यालय मैदान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव 2022 समारोह की शुरुआत की. उन्होंने इस अवसर पर कहा, ''समय में आए बदलाव के साथ-साथ जीवन जीने के तरीकों में भी बदलाव आया है.

    आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी है. एक सोच वह है जिसमें हमारे आदिम मूल्य आज भी कायम हैं. दूसरी सोच वह है जो खुद को आधुनिक कहती है, लेकिन वही प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है.'' उन्होंने कहा कि विकास की गलत अवधारणा के कारण आज प्रकृति ही खतरे में पड़ गई है और आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकारों पर भी खतरा बढ़ गया है.'' मुख्यमंत्री ने कहा, ''मनुष्य का हृदय जब उल्लास से भर जाता है, तब उसका शरीर स्वयं ही थिरक उठता है. यही नृत्य है. बहुत प्राचीन समय में जब हमारे पुरखे जंगलों में रहा करते थे, तब उनका हर दिन जीवन के लिए संघर्ष का दिन हुआ करता था. वे हर दिन मिलजुल कर इस संघर्ष पर विजय प्राप्त करते थे. हर दिन अपने इस विजय का उत्सव मनाते थे. वही हमारा आदिम नृत्य था.'' यह भी पढ़ें : UP: दिनदहाड़े बदमाशों ने घर से किया लड़की को अगवा, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं

    बघेल ने कहा, ''इस बात पर बहुत आश्चर्य होता है कि दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है. उन हृदयों के भाव एक ही हैं. उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं.आदिवासियों के ये सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं बहुत ही छोटी-छोटी हैं, लेकिन जीवन से सीधे जुड़ी हुई है. उनकी उन आशाओं का संबंध न सिर्फ उनके अपने जीवन से है, बल्कि पूरी मानवता से है.'' उन्होंने इस नृत्य उत्सव का उद्देश्य ‘आदिवासियों की सदियों पुरानी परंपराओं और अधिकारों की रक्षा करना और इसे दुनिया भर में बढ़ावा देना’ बताते हुए कहा कि अगर हम पारंपरिक मूल्यों की रक्षा करेंगे तो एकजुटता और एकता भी कायम रहेगी. उन्होंने कहा कि विकास की वह सोच भी रहेगी, जो मानवता को बचाने के लिए जरूरी है.''

    बघेल ने इस अवसर पर बताया कि इस वर्ष तीसरी बार इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे 28 राज्यों, आठ केंद्र शासित प्रदेशों और 10 देशों – मोज़ाम्बिक, टोगो, ईजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों सहित लगभग 1500 देशी-विदेशी कलाकार शिरकत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का राज्य स्थापना दिवस है और यह छत्तीसगढ़िया लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि आज ही के दिन उनके पुरखों का संघर्ष सफल हुआ था. मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था. इधर राज्य के 42 आदिवासी समुदायों का संगठन छत्तीसगढ़ सर�

    जो खुद को आधुनिक कहते हैं, वे ही प्रकृति के दुश्मन बने हुए हैं: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
    CM Bhupesh Baghel (Photo Credit : Twitter)

    रायपुर, 1 नवंबर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कहा कि आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी है, एक सोच वह है जिसमें हमारे आदिम मूल्य आज भी कायम हैं जबकि दूसरी सोच वह है जो खुद को आधुनिक कहती है, लेकिन वह प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है. बघेल ने यहां के शासकीय विज्ञान महाविद्यालय मैदान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव 2022 समारोह की शुरुआत की. उन्होंने इस अवसर पर कहा, ''समय में आए बदलाव के साथ-साथ जीवन जीने के तरीकों में भी बदलाव आया है.

    आज विकास की हमारी सोच दो भागों में विभाजित हो चुकी है. एक सोच वह है जिसमें हमारे आदिम मूल्य आज भी कायम हैं. दूसरी सोच वह है जो खुद को आधुनिक कहती है, लेकिन वही प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है.'' उन्होंने कहा कि विकास की गलत अवधारणा के कारण आज प्रकृति ही खतरे में पड़ गई है और आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकारों पर भी खतरा बढ़ गया है.'' मुख्यमंत्री ने कहा, ''मनुष्य का हृदय जब उल्लास से भर जाता है, तब उसका शरीर स्वयं ही थिरक उठता है. यही नृत्य है. बहुत प्राचीन समय में जब हमारे पुरखे जंगलों में रहा करते थे, तब उनका हर दिन जीवन के लिए संघर्ष का दिन हुआ करता था. वे हर दिन मिलजुल कर इस संघर्ष पर विजय प्राप्त करते थे. हर दिन अपने इस विजय का उत्सव मनाते थे. वही हमारा आदिम नृत्य था.'' यह भी पढ़ें : UP: दिनदहाड़े बदमाशों ने घर से किया लड़की को अगवा, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं

    बघेल ने कहा, ''इस बात पर बहुत आश्चर्य होता है कि दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है. उन हृदयों के भाव एक ही हैं. उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं.आदिवासियों के ये सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं बहुत ही छोटी-छोटी हैं, लेकिन जीवन से सीधे जुड़ी हुई है. उनकी उन आशाओं का संबंध न सिर्फ उनके अपने जीवन से है, बल्कि पूरी मानवता से है.'' उन्होंने इस नृत्य उत्सव का उद्देश्य ‘आदिवासियों की सदियों पुरानी परंपराओं और अधिकारों की रक्षा करना और इसे दुनिया भर में बढ़ावा देना’ बताते हुए कहा कि अगर हम पारंपरिक मूल्यों की रक्षा करेंगे तो एकजुटता और एकता भी कायम रहेगी. उन्होंने कहा कि विकास की वह सोच भी रहेगी, जो मानवता को बचाने के लिए जरूरी है.''

    बघेल ने इस अवसर पर बताया कि इस वर्ष तीसरी बार इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे 28 राज्यों, आठ केंद्र शासित प्रदेशों और 10 देशों – मोज़ाम्बिक, टोगो, ईजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों सहित लगभग 1500 देशी-विदेशी कलाकार शिरकत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का राज्य स्थापना दिवस है और यह छत्तीसगढ़िया लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि आज ही के दिन उनके पुरखों का संघर्ष सफल हुआ था. मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था. इधर राज्य के 42 आदिवासी समुदायों का संगठन छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (सीएसएएस) ने कांग्रेस सरकार पर आदिवासियों के आरक्षण अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने की घोषणा की है.

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