भोपाल: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राज्य के खाद्य आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों के पद खाली रहने के कारण इस निकाय का काम-काज कथित रूप से बाधित होने को लेकर 10 दिन के भीतर वस्तुस्थिति स्पष्ट करे. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया तथा न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी ने सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनोतकर ने यह जानकारी दी.
धनोतकर ने बताया कि उच्च न्यायालय उनके मुवक्किल की याचिका पर प्रदेश सरकार को 17 फरवरी को नोटिस जारी कर चुका है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य खाद्य आयोग के खाली पद भरने को लेकर कौन-से कदम उठाए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष का पद 12 अगस्त 2020 से खाली पड़ा है और आयोग के पांच में से दो सदस्यों के पद भी लम्बे समय से रिक्त होने से इस निकाय का काम-काज बाधित हो रहा है.
इसके मुताबिक राज्य खाद्य आयोग का गठन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत अनिवार्य है. याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य खाद्य आयोग के दायित्वों में इस बारे में रिपोर्ट तैयार करना शामिल है कि पोषण आहार, खाद्य सुरक्षा और विद्यालयों के मध्यान्ह भोजन से जुड़ी सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक तरह से हो रहा है या नहीं.
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