छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 27 अक्टूबर : मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार समुदाय को आरक्षण देने के लिए एक दिन का विशेष विधानमंडल सत्र बुला सकती है. उन्होंने कहा कि अगर मराठों को आरक्षण देने का तरीका सुझाने के लिए नियुक्त समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है, तो महाराष्ट्र सरकार समुदाय को कोटा नहीं देने की साजिश कर रही है. जरांगे ने जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराती में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. जरांगे यहीं भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने सरकार को 40 दिन का वक्त दिया हैऔर मराठा आरक्षण पर अपने रुख को साबित करने के लिए जरूरी साक्ष्य पेश किए हैं. अगर उन्होंने इस मुद्दे पर काम कर रही समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया है तो यह मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं देने की साजिश है.’’ चालीस वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के नेताओं से अपने अपने घरों में रहने और गांव नहीं आने की अपील की. जरांगे ने कहा, ‘‘अगर नेता हमें आरक्षण नहीं दे रहे हैं और हमारे गांवों में प्रवेश कर रहे हैं, तो वे वहां कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के लिए आ रहे हैं. इसके बजाय उन्हें विधानसभा में जाकर मराठा आरक्षण के लिए आवाज उठानी चाहिए. सरकार एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाकर आरक्षण दे सकती है.’’ यह भी पढ़ें : Flipkart से ऑर्डर किया 1 लाख का टीवी, बॉक्स खोलते ही उड़ गए होश, आप भी रहे सावधान!
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को इन नेताओं को शांतिपूर्वक रोकना चाहिए. उन्होंने लोगों से आत्महत्या नहीं करने और आरक्षण मिलने तक लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा पर तंज कसते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने सवाल किया कि राज्य के शासनाध्यक्षों ने महाराष्ट्र में जारी आरक्षण आंदोलन के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत क्यों नहीं कराया. जारांगे ने सितंबर में इसी गांव में भूख हड़ताल की थी और मांग की थी कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए. 29 अगस्त को शुरू हुआ प्रदर्शन 14 सितंबर को मुख्यमंत्री शिंदे से बातचीत के बाद खत्म कर दिया गया था. उस समय सामाजिक कार्यकर्ता ने आरक्षण देने के लिए सरकार के समक्ष 40 दिन की समय सीमा (24 अक्टूबर तक) निर्धारित की थी.