सोमवार को इस समझौते से जुड़े देशों की बैठक हुई। यह सालभर बाद विदेश मंत्री स्तर की पहली बैठक है।
इस संधि को उससे जुड़े अन्य देश अमेरिका के एकतरफा ढंग से हटने के बाद उसे बचाने की जुगत में लगे है। इस पर ईरान और अमेरिका के अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और रूस ने हस्ताक्षर किये थे।
तीन यूरोपीय शक्तियों ने आशा जतायी कि प्रशासन बदलने के बाद अमेरिका को अब इस करार पर वापस लाया जा सकता है जिसका लक्ष्य ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना है। वैसे ईरान परमाणु बम बनाने से इनकार करता रहा है।
नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उन्हें अमेरिका के इस करार पर वापस आने की आस है। उनके ही उपराष्ट्रपति रहने के दौरान यह करार हुआ था।
ईरान अब इस संधि में लगायी गयी पाबंदियों के उल्लंघन में जुटा है। उस पर आरोप है कि वह अनुमति से अधिक संवर्धित यूरेनियम का भंडारण कर रहा है और इजाजत से अधिक संवर्धन कर रहा है।
एपी
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