विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूर्वी कांगो में चल रहे इबोला के प्रकोप के कारण "अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल" घोषित कर एक दुर्लभ कदम उठाया है. रवांडा की सीमा पर स्थित गोमा के प्रमुख शहर में वायरस के पहले मामले की पुष्टि हुई थी. साल 2014-2016 में पिछली बार पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस के कहर से 11,000 हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए थे. जिसके बाद इबोला के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया था. आधिकारिक स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इबोला ने पिछली गर्मियों में कांगो के संघर्ष-ग्रस्त उत्तरी किवु प्रांत में फैलना शुरू किया और 2,500 से अधिक को संक्रमित किया और लगभग 1,700 लोगों को की इससे मौत हो गई. डब्ल्यूएचओ (WHO) की अलर्ट घोषणा से पता चलता है कि कांगो में इबोला का कहर बह्जुत सीरियस है. यह अलर्ट खतरों के वक्त लाग्या जाता है, इससे पहले चार बार अलर्ट जारी हो चुका है. पहली बार अलर्ट तब लगा जब 2009 में H1N1 इन्फ्लूएंजा महामारी ने 200 मिलियन लोगों को संक्रमित किया था. दूसरी बार जब मई 2014 में इसकें कारण पाकिस्तान और सीरिया में पोलियो का विकराल रूप सामने आया. तीसरी बार अगस्त 2014 में इबोला वायरस ने पश्चिम अफ्रीका और चौथी बार फरवरी 2016 में ब्राजील में जीका वायरस ने लोगों को तबाह कर दिया. यह निर्णय 10 वैज्ञानिकों की एक समिति द्वारा किया गया था, जिन्होंने वर्तमान प्रकोप के लिए आपातकाल की घोषणा जारी करने से पहले तीन बार मना कर दिया था. समिति ने कहा कि फाइनांस में देरी की वजह से लोगों के इलाज में बाधाएं आई. ये अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन घोषणा लोगों को समझ में आएगी. इबोला प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा पर दंडात्मक प्रतिबन्ध और यात्रा न करने की चेतावनी दी गई है.
LIVE from WHO HQ: Press Conference on the International Health Regulations Emergency Committee on #Ebola in #DRC https://t.co/UqCigPNQyg
— World Health Organization (WHO) (@WHO) July 17, 2019
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गोमा में जबसे इबोला वायरस फैलने की पुष्टि हुई है, तबसे ये चिंता का विषय बना हुआ है. इस बीमारी की वजह से 10000 हजार रवांडा निवासी रोजाना पैदल सीमा पार कर रहे हैं. इबोला वायरस के एक लाख से अधिक मरीज इस प्रकोप की वजह से बुटेमबो शहर के पास उप केंद्र के पास चले गए. मंगलवार को उनकी मृत्यु हो गई और डब्ल्यूएचओ के अधिकारी उनके द्वारा किए गए दर्जनों संपर्कों का पता लगा रहे हैं. एक नए टीके (Vaccine) को इबोला को धीमा करने में कुछ सफलता मिली है, लेकिन हाल ही में संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है और स्वास्थ्य अधिकारी चिंतित हैं. क्योंकि वायरस तेजी से फैलते जा रहे हैं. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी की वजह से निराश लोकल लोगों ने हिंसक धक्का-मुक्की करनी शुरू कर दी जिसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को मजबूर कर दिया है, जिससे प्रकोप बढ़ रहा है. जनवरी के बाद से स्वास्थ्य कर्मचारियों पर लगभग 200 हमले हुए हैं जिनमें से सात मारे गए.उत्तर किवु की राजधानी गोमा में इबोला वायरस की वजह से सबसे जटिल वातावरण है. यूगांडा में पिछले सप्ताह बुधवार को कांगो में एक मछुआरे की बार-बार उलटी करने से मौत हो गई. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उनका यूगांडा में लगभग 600 मछुआरों को टीका लगाने का टार्गेट है. जून में एक ही परिवार के तीन लोग इबोला वायरस से संक्रमित थे, वो चिकित्सा उपचार की तलाश में युगांडा गए. युगांडा में परिवार के एक 5 वर्षीय लड़के और उसकी 50 वर्षीय दादी की अंततः मृत्यु हो गई और परिवार के एक अन्य सदस्य को कांगो वापस भेज दिया गया.
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डब्लूएचओ के अनुसार इबोला का प्रकोप शुरू होने के बाद से लगभग दो दर्जन "सक्रिय मामले" बॉर्डर पर पाए गए हैं. युगांडा ने साल 2000 के बाद से इबोला और इसी तरह के वायरस के कई प्रकोपों का अनुभव किया है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उनके क्षेत्र में वायरस के फैलने का खतरा कम है और उत्तर किवु के उन लोगों की संख्या के कारण युगांडा, रवांडा, बुरुंडी और दक्षिण सूडान में सबसे ज्यादा खतरा है, जहां कोई स्वास्थ्य जांच की फेसिलिटी नहीं है. अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने पर डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों को "मनमाना" बताया है. 4 जून को एक हाउस पैनल के सामने आने के बाद, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड ने डब्ल्यूएचओ द्वारा पहले के फैसलों के बारे में पूछा गया था ताकि कांगो को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने से रोका जा सके. उन्होंने कहा,"मैं कहूंगा कि इसे घोषित करने या नहीं घोषित करने के उनके फैसले के बारे में कुछ भी संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिक्रिया देने की क्षमता को प्रभावित नहीं कर रहा है," "यह वास्तव में मूल रूप से उनके मनमाने दिशानिर्देशों का परिणाम है.
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वॉशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे स्टीफन मॉरिसन ने कहा कि, 'सच यह है कि सीडीसी ने पहले से ही अपने आपातकालीन संचालन केंद्र को सक्रिय कर दिया है. उन्होंने प्रकोप पर नजर रखी है और वे इसे आपातकाल के रूप में देखते हैं. लेकिन जमीन पर संयुक्त राज्य की उपस्थिति बेहद सीमित है, क्योंकि सीडीसी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय संक्रमण क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया है, आंशिक रूप से सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण वहां झड़पें जारी हैं. कांगो में इबोला के नौ प्रकोप हो चुके हैं और वर्तमान में इबोला का सबसे लंबा और सबसे घातक इबोला का प्रकोप हुआ हैं. अब तक कुल 115 से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता इबोला वायरस से संक्रमित हुए हैं. अपनी तैयारियों के लिए डब्ल्यूएचओ प्रमुख कियानी ने कहा, "हम इसे कम करने की कोशिश कर रहे हैं.