![छात्रों ने प्रधानमंत्री को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया छात्रों ने प्रधानमंत्री को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2025/01/71436600_403-380x214.jpg)
पिछले साल नवंबर में सर्बिया के शहर नोवी साद में एक रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे में 15 लोगों की मौत के बाद लोग हर दिन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. यह प्रदर्शन ना सिर्फ बड़े पैमाने पर हुआ बल्कि इसका तरीका भी नायाब था.सर्बिया के प्रधानमंत्री मिलोस वुचेविच ने 28 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह इस्तीफा उनके खिलाफ पिछले तीन महीने से लगातार हो रहे प्रदर्शनों के बाद आया है.
नवंबर 2024 में सर्बिया के शहर नोवी साद में मौजूद रेलवे स्टेशन की छत का एक हिस्सा गिर गया था. इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना से लोगों में बड़े पैमाने पर नाराजगी थी और इसी वजह से वहां शुरू हुए प्रदर्शनों ने बहुत व्यापक रूप ले लिया.
छात्रों ने उठाई आवाज
हादसे के बाद सरकार के खिलाफ सबसे पहली आवाज बेलग्रेड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उठाई. कैंपस में शुरू हुआ प्रदर्शन देखते ही देखते कई विश्वविद्यालयों तक पहुंच गया. यूनिवर्सिटी छात्रों की देखादेखी स्कूलों में भी छात्रों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी. सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड की सड़कें प्रदर्शनकारियों से भर गईं. सर्बिया में प्रदर्शनों का इतिहास उठाकर देखें तो यह पिछले कुछ सालों में हुआ सबसे बड़ा प्रदर्शन था.
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प्रदर्शन में शामिल लोगों ने रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद हर दिन प्रदर्शन किया. इस दौरान स्थानीय समय के हिसाब से दिन में 11 बजकर 52 मिनट पर यातायात 15 मिनट के लिए रोक दिया जाता था. विरोध के लिए चुना गया समय दुर्घटना के दिन का समय था, जिस दिन ये हादसा हुआ था.
प्रदर्शन के दौरान लोगों ने हाथों में लाल रंग के दस्ताने पहने जो हाथ पर लगे खून के धब्बों का प्रतीक थे. लोगों ने हादसे के लिए निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया.
भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद
प्रधानमंत्री बनने से पहले वुचेविच दस सालों तक नोवी साद शहर के मेयर रह चुके थे. उनके कार्यकाल में ही हादसे का शिकार हुए रेलवे स्टेशन की मरम्मत कराई गई थी. यही वजह है कि प्रदर्शनकारी लगातार प्रधानमंत्री समेत तत्कालीन मेयर के इस्तीफे की मांग कर रहे थे.
लोगों ने इस घटना के लिए व्यापक भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और घटिया निर्माण कार्य को जिम्मेदार बताया था. मरम्मत के काम के लिए चीनी कंपनी को ठेका दिए जाने को भी लोगों ने भ्रष्टाचार से जोड़ा.
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इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री वुचेविच ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, "देश के माहौल को जटिल बनाने से बचाने और समाज में तनाव फैलने से रोकने के लिए मैंने यह निर्णय लिया है. राष्ट्रपति ने भी मेरी दलीलें स्वीकार कर ली हैं." हालांकि नई सरकार चुने जाने तक फिलहाल वुचेविच और उनके मंत्री अपने पद पर बने रहेंगे.
छात्र शक्ति को हल्के में आंकने वाले वुचेविच भले ही पद छोड़ चुके हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि प्रदर्शन अभी रुकने वाला नहीं है. प्रदर्शनकारियों के निशान पर राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुचिच भी हैं. एक दशक से भी ज्यादा समय से पद पर मौजूद वुचिच ने अपने बयान में छात्रों की सभी मांगें मानने की बात कही है.