म्यांमार (Myanmar) की जेल में करीब डेढ़ साल से बंद रॉयटर्स (Reuters) समाचार एजेंसी के दो पत्रकारों को रिहा कर दिया गया है. दोनों को सरकारी गोपनीयता कानून तोड़ने का दोषी पाया गया था. ऑफिशल सीक्रेट ऐक्ट के उल्लंघन करने के मामले में दोनों पत्रकारों को 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी. इन दोनों पर ये मामला तब चला था जब इन्होंने 2017 में 10 मुस्लिम रोहिंग्या कैंप में सरकारी सुरक्षा बलों की कार्रवाई की रिपोर्टिंग की थी. कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी. बताया जा रहा है कि 17 अप्रैल से शुरू हो रहे म्यांमार के नववर्ष से पहले राष्ट्रपति ने उन्हें माफी दे दी.
दोनों पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के लिए साल 2018 का पत्रकारिता का पुलित्जर पुरस्कार भी दिया गया है. इन दोनों पत्रकारों की रिहाई के लिए दुनिया भर में मांग उठ रही थी. यंगून के कुख्यात जेल में हिरासत में 500 से अधिक दिन बिताने के बाद वा लोन और क्याव सोई ओओ जेल से बाहर आ गए. उन्हें सितंबर 2017 में सजा सुनाई गई थी. वे 12 दिसंबर 2017 से जेल में थे.
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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के नववर्ष के आस-पास राष्ट्रपति कैदियों की सजा माफ करते हैं. इसी के तहत हजारों अन्य कैदियों के साथ ही दोनों पत्रकारों को भी रिहाई मिल गई. यांगून के बाहरी इलाके में बनी जेल से रिहा होने के बाद वा लोन ने बीबीसी से कहा कि वे पत्रकारिता करने से कभी पीछे नहीं हटेंगे. बता दें कि वा लोन और क्वाय सोए की रिहाई के लिए दुनिया भर के संगठनों और नामी हस्तियों ने आवाज उठाई थी. म्यांमार के इस फैसले की आलोचना करते हुए जानी-मानी हस्तियों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात बताया था.