ढाका: बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस ने बुधवार को कहा कि उनका देश भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन यह संबंध "निष्पक्षता और समानता" के आधार पर होने चाहिए.
एक टेलीविज़न संबोधन में, मोहम्मद यूनुस ने बताया कि प्रशासन के मुखिया के रूप में शपथ लेने के बाद उन्हें विभिन्न देशों के प्रमुखों से बधाई संदेश और फोन कॉल प्राप्त हुए. इन सभी ने बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की बात कही.
यूनुस ने बताया, "मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ से टेलीफोन पर बातचीत की. हम भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन ये संबंध निष्पक्षता और समानता पर आधारित होने चाहिए."
84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने 8 अगस्त को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली थी. प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और उनके भारत में शरण लेने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शेख हसीना के खिलाफ चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण यह घटनाक्रम हुआ.
यूनुस ने यह भी कहा कि बांग्लादेश ने भारत के साथ बाढ़ प्रबंधन पर सहयोग के लिए उच्च स्तरीय बातचीत शुरू कर दी है.
उन्होंने कहा, "मैंने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए सार्क (SAARC) को पुनर्जीवित करने की पहल भी की है." सार्क में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं.
यूनुस ने इस बात पर भी जोर दिया कि बांग्लादेश को एक सम्मानित लोकतंत्र के रूप में विश्व में पहचान दिलाना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि विश्व बांग्लादेश को एक सम्मानित लोकतंत्र के रूप में पहचाने."
अंतरिम सरकार ने छह प्रमुख क्षेत्रों में सुधार के लिए छह आयोगों के गठन की पहल की है, जिसमें चुनाव प्रणाली, पुलिस प्रशासन, न्यायपालिका, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग, लोक प्रशासन और संविधान सुधार शामिल हैं. ये आयोग 1 अक्टूबर से अपना काम शुरू करेंगे और अगले तीन महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है.
मोहम्मद यूनुस ने कहा, "हम सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए इन सुधारों को लागू करना चाहते हैं. हमारे सामने बहुत काम है, लेकिन हम सभी एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहते हैं. हम एक ऐसा ढांचा तैयार करना चाहते हैं जो विशेष रूप से नई पीढ़ी की अव्यक्त प्रतिभाओं को बिना किसी बाधा के उभरने दे."
यूनुस ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में अपनी जान गंवाई या घायल हुए. उन्होंने वादा किया कि इन पीड़ितों के परिवारों को पुनर्वासित किया जाएगा.
हालांकि, यूनुस ने यह भी चेतावनी दी कि "कानून अपने हाथ में लेने" की अनुमति नहीं दी जाएगी और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने सभी से देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की.
उन्होंने कहा, "हम सांप्रदायिक सौहार्द का देश हैं. आपमें से कोई भी ऐसा कुछ न करे जिससे धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचे."
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की "फासीवादी" सरकार की आलोचना करते हुए, यूनुस ने घोषणा की कि हसीना का आधिकारिक निवास गणभवन अब एक संग्रहालय में बदल दिया जाएगा. यह संग्रहालय हसीना सरकार की तानाशाही का प्रतीक होगा. हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद, क्रोधित भीड़ ने गणभवन में व्यापक क्षति पहुंचाई थी.
यूनुस ने अपने संबोधन में भविष्य में बांग्लादेश को एक लोकतांत्रिक और निष्पक्ष देश के रूप में स्थापित करने के लिए अपने संकल्प को दोहराया.