भारत और पाकिस्तान के बीच कैदियों की लिस्ट का हुआ आदान-प्रदान, 2014 से अब तक 2,639 भारतीय मछुआरे लाए गए वापस

नई दिल्ली और इस्लामाबाद में आज भारत और पाकिस्तान ने कूटनीतिक माध्यमों से एक-दूसरे की हिरासत में मौजूद नागरिक कैदियों और मछुआरों की सूची का आदान-प्रदान किया. यह प्रक्रिया 2008 में हुए ‘द्विपक्षीय कांसुलर एक्सेस समझौते’ के तहत हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को की जाती है.

इस बार भारत ने पाकिस्तान को उन 381 नागरिक कैदियों और 81 मछुआरों की सूची सौंपी, जो पाकिस्तानी हैं या माने जाते हैं. वहीं, पाकिस्तान ने भारत को उन 49 नागरिक कैदियों और 217 मछुआरों की सूची दी, जो भारतीय हैं या माने जाते हैं.

भारतीय कैदियों की रिहाई की मांग

भारत सरकार ने पाकिस्तान से नागरिक कैदियों, मछुआरों और उनकी नावों के साथ-साथ लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की जल्द रिहाई और वापसी का अनुरोध किया है. पाकिस्तान से यह भी आग्रह किया गया है कि वह उन 183 भारतीय मछुआरों और नागरिक कैदियों को रिहा करे, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है.

इसके अलावा, पाकिस्तान में हिरासत में रखे गए 18 भारतीय या भारतीय माने जाने वाले कैदियों और मछुआरों को तुरंत कांसुलर पहुंच प्रदान करने का अनुरोध किया गया है. भारत ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इन सभी भारतीय कैदियों और मछुआरों की रिहाई और वापसी से पहले उनकी सुरक्षा और कल्याण का ध्यान रखा जाए.

मानवता के आधार पर भारत की प्रतिबद्धता

भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह मानवीय मुद्दों, विशेष रूप से कैदियों और मछुआरों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता के साथ हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी संदर्भ में, भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया है कि वह उन 76 नागरिक कैदियों और मछुआरों की राष्ट्रीयता की पुष्टि प्रक्रिया में तेजी लाए, जो भारत में हिरासत में हैं और जिनकी वापसी उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि के अभाव में लंबित है.

सरकार के प्रयासों का परिणाम

भारत सरकार के निरंतर प्रयासों से 2014 के बाद से अब तक 2,639 भारतीय मछुआरों और 71 भारतीय नागरिक कैदियों को पाकिस्तान से वापस लाया गया है. इनमें से 2023 से अब तक 478 भारतीय मछुआरे और 13 नागरिक कैदी भारत लौट चुके हैं.

कैदियों और मछुआरों की सूची का यह आदान-प्रदान भारत और पाकिस्तान के बीच मानवता के आधार पर चल रही महत्वपूर्ण प्रक्रिया का हिस्सा है. यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और आपसी सहमति को बढ़ावा देने का कार्य करता है. भारत सरकार इस दिशा में लगातार सक्रिय है ताकि अपने नागरिकों की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें.